
जांजगीर-चांपा. स्वास्थ्य विभाग में नौकरी लगाने के नाम पर फर्जीवाड़े की परत उधडऩे लगी है। बीते एक दशक के भीतर सैकड़ों लोगों की नौकरी नियम कायदों को ताक में रखकर लगा दी गई है। इसकी जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मिली है। पत्रिका के पास ऐसे सैकड़ों लोगों के कागजाद हाथ लगे हैं। जिनकी नौकरी या तो नियम के विरुद्ध हुई या फिर चहेतों को लाभ देने के लिए अधिकारियों ने नए नियम बनाकर नौकरी लगा दिया है।
स्वास्थ्य विभाग में सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार लाखन सिंह आजाद की प्रथम नियुक्ति ५ मार्च 2007 को कलेक्टर दर पर हुई। 6 अक्टूबर 2008 को उसे नियमित करते हुए वार्ड ब्वाय बना दिया गया। इसके बाद उसे साल भर के भीतर प्रमोशन का लाभ देते हुए एमपीडब्ल्यू बना दिया गया और प्रशिक्षण के लिए बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रशिक्षण केंद्र पखांजूर भेजा गया। इस मामले की शिकायत भी हुई थी। जिसमें अफसरों ने अपने टीप में लिखा भी है कि नियमित सेवा की अवधि पांच वर्ष पूर्ण नहीं हुई है। विभागीय पदोन्नति नियम के अनुसार पांच वर्षों की नियमित सेवा पूर्ण होने पर पदोन्नति की जा सकती है। इसी तरह 10 और भी ऐसे कर्मचारी हैं जिसकी बारी -बारी से खुलासा किया जाएगा।
जिनकी पहुंच नहीं वे भृत्य ही बने हुए हैं
बीते डेढ़ दशक के भीतर जिले में विभिन्न विभागों में बंपर भर्ती हुई। सबसे अधिक स्वास्थ्य विभाग में भर्ती हुई है। जिसमें नियम कायदों को दरकिनार कर दिया गया है। जिसके पास पहुंच व पैसे थे उनकी नौकरी तुरंत लग गई। जिनके हाथ अफसरों तक नहीं पहुंचे वे कर्मचारी भृत्य जैसे पद पर ही सालों से पदस्थ हैं। भृत्य लखन लाल देवांगन ने बताया कि वह पिछले एक दशक से कलेक्टर दर कर्मचारी के पद पर कार्यरत है। लेकिन उसकी दस साल बाद भी नियमित नहीं किया गया। उसके साथ एक साथ काम करने वाला कर्मचारी आज प्रमोशन भी हो गया और उसका अन्यत्र स्थानांतरण भी हो गया।
-यह बहुत ही गंभीर मामला है। इसकी जानकारी लेकर मामले की जांच कराई जाएगी। उसके बाद कार्रवाई की जाएगी।
-डॉ. मधुलिका सिंह, जेडी हेल्थ, बिलासपुर संभाग
Published on:
05 Nov 2017 12:52 pm
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