
Accidents: लोहे के बड़े-बड़े पट्टे व सरिया दे रहे हादसे को न्योता, इस जगह चलें जरा संभलकर
जांजगीर-चांपा। Accidents: हाल ही में 26 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित पीथमपुर पुल की हालत दिन ब दिन बदतर होते जा रही है। पुल में लगे लोहे के एंगल व पट्टे उखड़कर ऊपर आ गए हैं जो किसी बड़ी घटना को आमंत्रण दे रहा है। इससे विभाग को सरोकार नहीं है। वहीं मॉनिटरिंग करने वाला भी कोई नहीं है।
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इस खतरनाक पुल को पार करने बड़े वाहन चालकों को फर्क नहीं पड़ रहा है लेकिन छोटे वाहन चालकों के लिए यह किसी मुसीबत से कम नहीं है। क्योंकि कभी भी इन सरिया व लोहे पट्टे में फंसकर छोटे वाहन चालक दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं। इसकी मरम्मत के लिए न तो ठेकेदार को सरोकार है और न ही विभाग को चिंता है। जबकि आए दिन लोग पुल के ऊपर दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं।
साल भर पहले लोगों के लिए समर्पित पीथमपुर पुल की हालत बेहद खस्ता होते जा रहा है। पिलर के जोड़ों में लगे बड़े-बड़े लोहे के पट्टे व सरिया उखड़कर ऊपर की ओर आ गए है। कहीं कहीं तो इन बड़े-बड़े जोड़ों में गड्ढे बन गए हैं जो छोटे वाहन चालकों के लिए खतरा बनेे हुए हैं। दिलचस्प बात यह है कि यह पुल हाल ही में बना है और अभी से यह हाल है तो आगे क्या हाल होगा सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। लोगों की माने तो इसकी मॉनिटरिंग कभी नहीं की जाती। इसकी प्रमुख वजह यह है कि पहले एनएच 49 विभाग का आफिस जांजगीर-चांपा जिले में ही था लेकिन अब इस विभाग का आफिस उठकर बलौदाबाजार जिला चला गया है। जिससे विभागीय अफसर यहां नहीं मिलते। जब अफसर ही नहीं है तो मॉनिटरिंग की कोई गुंजाइश ही नहीं बनती।
कंपन होने से डर जाते हैं लोग
इस पुल के ऊपर से चौबीसों घंटे भारी वाहन गुजरता है। जिससे कंपन होने लगता है। इसके चलते लोगों में डर बन जाता है। ऐसा लगता है मानो पुल कभी भी धंस भी सकता है। क्योंकि इससे पहले पुल का पिलर खराब हो गया था जिसे विभागीय अफसरों ने रिजेक्ट कर दिया था। इसके बाद पुन: नए सिरे से पिलर का निर्माण किया गया था। ऐसे में लोगों को इस पुल से भरोसा उठ सा गया है।
26 माह भी नहीं टिक पाया 26 करोड़ का पुल
पीथमपुर का यह पुलिस तकरीबन 26 करोड़ रुपए की लागत से बना है। यह पुल एक साल पहले ही लोगों को समर्पित किया गया है। पुल में भारी वाहनों के आवागमन के चलते 26 माह भी नहीं टिक पाया और अभी से जर्जर हो चुका है। विडंबना यह है कि विभाग ने इस सड़क को आज तक हैंडओवर नहीं लिया है। क्योंकि कई स्थानों से सड़क उखड़ने लगी है। नियम के मुताबिक सड़क पूरी तरह बन जाने के चार साल बाद तक हैंडओवर करना है।
मरम्मत के बाद भी यह हाल
इस पुल में कई तरह की खामियां हर तिमाही में नजर आ ही जाती है। इससे पहले इस पुल की मरम्मत की गई थी। मरम्मत में भी ठेकेदार द्वारा लीपापोती की जाती है। जिसके चलते इस रूट से गुजरने वालों को आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पुल के ऊपर की सड़क भी इतनी घटिया क्वालिटी की बनाई गई है कि हर माह वह उखड़ जाती है। जिससे छोटे वाहन चालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इससे विभागीय अधिकारियों को सरोकार नहीं है।
Updated on:
22 Nov 2023 06:42 pm
Published on:
22 Nov 2023 06:39 pm
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