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उधार के संसाधनों से बच्चों के अधिकार व सरंक्षण की पहल

हैंडल करने वाली संस्था चाइल्ड लाइन का यहां अभाव

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हैंडल करने वाली संस्था चाइल्ड लाइन का यहां अभाव

हैंडल करने वाली संस्था चाइल्ड लाइन का यहां अभाव

जांजगीर-चांपा. जिले में बच्चों के अधिकार व सरंक्षण को लेकर जुगाड़ के संसाधनों से काम चलाने की पहल होती है। बच्चों के प्रकरण को सबसे पहले हैंडल करने वाली संस्था चाइल्ड लाइन का यहां अभाव हैं। ऐसे में, जब कोई पीडि़त या फिर मददगार बच्चों के अधिकार व सरंक्षण को लेकर चाइल्ड लाइन के टोल फ्री नंबर 1098 पर कॉल करता है।

तब ऐसी स्थिति में उसे बिलासपुर, कोरबा व रायगढ़ (जो घटना स्थल से नजदीक हो) के चाइल्ड लाइन को केस ट्रांसफर करने की पहल होती है। जिसके बाद उनके द्वारा उक्त मामले से जिले के संबंधित अधिकारी को अवगत कराने की पहल की जाती है। दबी जुंबा से अधिकारी भी चाइल्ड लाइन के अभाव की बात स्वीकार करते हैं। पर वो यह भी कहते हैं कि इस दिशा में पत्राचार किया गया है। जल्द ही इस दिशा में ठोस पहल होने की उम्मीद है।


नैला रेलवे स्टेशन पर अगर कोई मासूम खो जाता है और उक्त क्षेत्र से अंजान पीडि़त परिजन चाइल्ड लाइन के देशव्यापी टोल फ्री नंबर 1098 पर मदद को लेकर कॉल करते हैं। तब उनकी मदद के लिए सबसे पहले रागयढ़, कोरबा व बिलासपुर में से कोई एक चाइल्ड लाइन की टीम आएगी। जो स्थानीय जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी से संपर्क कर उक्त प्रकरण को हल करने की दिशा में पहल करेगी। इसकी मुख्य वजह है

जांजगीर-चांपा जिले में चाइल्ड लाइन की टीम का अभाव। इस बात को विभगीय अधिकारी भी स्वीकार करते हैं। उनकी माने तो बच्चों से संबंधित जब कोई प्रकरण आता है तो बाल सरंक्षण कार्यालय से ही स्टॉफ को संबंधित प्रकरण में भेजना पड़ता है। अगर मामला गंभीर व दूसरे राज्य का होता है तो उसमें पुलिस की मदद भी लेनी पड़ती है। स्टॉफ के अभाव के बीच कभी-कभी विभागीय कार्य भी प्रभावित होते हैं। पर बच्चों के अधिकार व त्वरित संरक्षण को लेकर इसके अलावा और कोई विकल्प भी नहीं हैं। ऐसे में, सभी कार्य को छोड़ कर उक्त केस को हैंडिल करने को प्राथमिकता दी जाती है।


पत्राचार की कवायद पूरी
हलांकि जिले में चाइल्ड लाइन की जरुरत लंबे समय से हैं। जिसे देखते हुए आला अधिकारियों के पास पत्राचार किया गया है। उस दिशा में बैठक कर सकारात्मक पहल की जा रही है। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले वर्ष जिले में चाइल्ड लाइन कह टीम स्थापित हो जाएगी। जिसके बाद बच्चों के अधिकार व सरंक्षण की दिशा में और बेहतर व गति के साथ कार्य होंगे। जिला प्रशासन स्तर पर इसकी पहल की जा रही है।

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क्या है चाइल्ड लाइन और टोल फ्री 1098
चाइल्ड लाइन, एनजीओ द्वारा संचालित एक संस्था है। जो बच्चों के अधिकार व सरंक्षण की दिशा में काम करती है। जिसका टोल फ्री नंबर 1098 काफी चर्चित है। जिसे जरुरत के अनुसार लोग डायल भी करते हैं। जिसमें संबंधित बच्चे को जेजे एक्ट के तय प्रावधानों के अनुरुप बाल कल्याण समिति में पेश कर बालकों से संबंधित संस्था में शिफ्ट करने की कवायद की जाती है। चाइल्ड लाइन की मदद से प्रदेश के कई जिलों में हाई प्रोफाइल मामलों में रेस्क्यू कर संबंधित बालक/बालिका को संरक्षण देने की पहल की जा चुकी है।


-जिले में चाइल्ड लाइन की टीम का अभाव है। विभागीय कर्मचारी की मदद से बच्चों के प्रकरण को हैंडिंल करने की कवायद की जाती है। जहंा तक टीम की स्थापना का सवाल है, पत्राचार के अलावा आला अधिकारियों की बैठक हो चुकी है। जल्द ही चाइल्ड लाइन की कमी को दूर करने की पहल की जाएगी।
-गजेंद्र जायसवाल, जिला बाल सरंक्षण अधिकारी, जांजगीर-चांपा।