
जांजगीर-चांपा. बम्हनीडीह ब्लाक के ग्राम लखुर्री के किसान रामप्रकाश केशरवानी के आम, अनार, केला, बेर व नीबू की खुशबू अब क्षेत्र नहीं बल्कि प्रदेश व देश के कोने-कोने में फैलेगी। यहां के फसल को पेटेंट कराने के लिए किसान कामयाब हो गया है।
यहां की पौध प्रजातियों की फसल को अनुरक्षित रखने के लिए प्राधिकरण नई दिल्ली की बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची में संरक्षण के लिए सुनिश्चित कर लिया गया है। इससे क्षेत्र की फसल को न सिर्फ बढ़ावा मिलेगा बल्कि किसानों की फसल देश के कोने-कोने तक पहुंचेगी।
खेती-किसानी के क्षेत्र में बम्हनीडीह ब्लाक के लखुर्री ग्राम का नाम हमेशा सुर्खियों में रहता है। यहां की खेती किसानी समूचे प्रदेश में मसहूर है। यहां के किसान प्रकाश केशरवानी ने पिछले एक दशक से लगातार मेहनत करते हुए कृषि के क्षेत्र में लखुर्री का नाम राज्य पटल में लाकर लोहा मनवा लिया है। यही वजह है कि उसे राज्य अलंकरण का पुरस्कार तक पहुंचाया। अब प्रकाश की जिद के चलते यहां के आम, अनार, केला, बेर व नीबू के फल को केंद्र सरकार पेटेंट करने जा रहा है।
दरअसल प्रकाश केशरवानी ने पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली की बिरसा कृषि विश्व विद्यालय रांची में फील्ड जीन बैंक में कार्यरत है। वहीं पंजीकृत फसल की पौध प्रजातियों को अनुरक्षित रखने के लिए सरकार ने आवेदन स्वीकार कर लिया है। अब यहां का फल फील्ड जीन बैंक में विकसित की गई पौध प्रजाति का संरक्षण किया जाएगा। इसके लिए दिल्ली के बीज प्रक्षेत्र के डायरेक्टर ने लखुर्री का दौरा कर लिया है।
इस तरह मिली सफलता
लखुर्री के किसान प्रकाश केशरवानी ने बताया कि गांव में आम, अनार, केला, बेर व नीबू के फल की उन्नत खेती उनके उद्यान में की जाती है। उद्यान में इन फलों के अलावा नीलगिरी, सागौन व अन्य पौधों की पैदावारी की गई है। गांव में आम, अनार, केला, बेर व नीबू के फल की पैदावारी बड़ी तादाद में की जाती है। यहां की फसल दूर-दूर तक जाती है। उनके मन विचार आया कि क्यों न ही इसे पेटेंट के लिए शासन को भेजा जाए। वह कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली भेजा। सरकार ने इसकी मांगे मान ली और पेटेंट के लिए स्वीकार कर लिया।
Published on:
24 Oct 2017 04:12 pm
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