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संचार क्रांति लाने मोबाइल बांटेगी सरकार, पर यहां के लोगों में मोबाइल को लेकर उत्साह नहीं, जानें क्या है वजह…

ग्रामीण अंचलों में मोबाइल टॉवर या तो लगे नहीं हैं या फिर जो मोबाइल टॉवर लगा है वह काम नहीं कर रहा है।

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संचार क्रांति लाने मोबाइल बांटेगी सरकार, पर यहां के लोगों में मोबाइल को लेकर उत्साह नहीं, जानें क्या है वजह...

संचार क्रांति लाने मोबाइल बांटेगी सरकार, पर यहां के लोगों में मोबाइल को लेकर उत्साह नहीं, जानें क्या है वजह...

जांजगीर-चांपा. मुख्यमंत्री दो अगस्त से मोबाइल बांटने की तैयारी कर रही है। संचार क्रांति के युग में यह अच्छी पहल है। जिले के 19 हजार 985 महिलाओं को रमन सरकार मोबाइल बांटेगी। वहीं दूसरी ओर गांवों में जब मोबाइल टॉवर ही सफेद हाथी बने हुए हैं तब उपभोक्ता भला मोबाइल कैसे चलेगा अंदाजा लगाया जा सकता है।

आज भी 80 फीसदी ग्रामीण अंचल के लोग मोबाइल से बात करने के लिए या तो छत के उपर चढ़ते हैं या फिर गांव के बाहर जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में मोबाइल से उनकी बातें हो पाती है। इसके चलते उपभोक्ताओं में मोबाइल को लेकर उत्साह नजर नहीं आ रहा है।

सरकार भले ही संचार क्रांति लाने के लिए प्रत्येक घरों में मोबाइल देना चाह रही है, लेकिन इसके लिए उपभोक्ताओं में उत्साह कम देखा जा रहा है। आज भी ग्रामीण अंचल के लोग मोबाइल का बेहतर इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। क्योंकि ग्रामीण अंचलों में मोबाइल टॉवर या तो लगे नहीं हैं या फिर जो मोबाइल टॉवर लगा है वह काम नहीं कर रहा है।

खासकर बीएसएनएल कंपनी का मोबाइल टॉवर पूरी तरह से सफेद हाथी बना हुआ है। हालांकि आधे से अधिक गांवों में निजी कंपनी का मोबाइल लगा है जो काम आ रहे हैं। ऐसे में मोबाइल का भी डिब्बा बनना स्वाभाविक है। गौरतलब है कि जिले में बीएसएनएल कंपनी का 100 से अधिक मोबाइल टॉवर गांवों में लगाए गए हैं।

इन मोबाइल टॉवरों को लगे 10 साल से अधिक समय हो चुके। इनमें से 50 फीसदी टॉवर काम की नहीं है। कई टॉवर बिगड़ा पड़ा है तो कई टॉवरों की बिजली कटी हुई है। इसके कारण काम नहीं कर रहा है। वहीं कई टॉवर ऐसे हैं जिनमें तकनीकी खराबी आई है और उसे सुधारा नहीं गया है। इसके चलते सफेद हाथी बने हुए हैं। भला ऐसे में मोबाइल किस काम की होगी यह चिंता हितग्राहियों को सता रही है।

स्टॉफ की समस्या से जूझ रहा विभाग
बीएसएनएल कंपनी स्टॉफ की समस्या से जूझ रहा है। स्टॉफ नहीं होने से ग्रामीण अंचल के बिगड़े मोबाइल टॉवर समय पर सुधर नहीं पाते। यही वजह है कि महीनों से यह टॉवर सुधारे नहीं जा सकते। जब शहर में हजारों कनेक्शन के लिए मात्र तीन-तीन कर्मचारियों से काम लिया जाता है तब ग्रामीण अंचलों के लिए कितने कर्मचारी होंगे अंदाजा लगाया जा सकता है। जब गांव में मोबाइल का टॉवर ही नहीं रहेगा तो मोबाइल चलेंगे कैसे।

-मोबाइट टॉवरों के फाल्ट मिलने की शिकायत के बाद उसे तुरंत ठीक किया जाता है। बारिश के दिनों में दिक्कतें अधिक आती है। बाकी दिनों ठीक चलता है- भारत भूषण, एसडीओटी, बीएसएनएल