अकलतरा से लेकर अमरताल के बीच सबसे बड़ा पावर प्लांट केएसके और एक अन्य पावर प्लांट स्थित है। पॉवर प्लांट संचालक ने आनन-फानन में शासन से मंजूरी लेकर पॉवर प्लांट तो चालू कर दिया, लेकिन उससे हर निकलने वाली हजारों टन राखड़ को स्टोर करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की। जो जगह स्टोर के लिए बनाई गई वह इतनी पर्याप्त नहीं कि पूरी राखड़ को डंप किया जा सके। इससे पॉवर प्लांट संचालक रातों-रात बड़ी-बड़ी कैप्सूल गाडिय़ों से राखड़ लाकर सड़क किनारे उड़ेल रहे हैं। इनकी इस लापरवाही से क्षेत्र के लोगों को कई तरह के नुकसान हो रहे हैं और जिले की जनता को स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा और रोटी, कपड़ा मकान दिलाने के ठेका लेकर रखने वाला जिला प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
राखड़ में होता है यूरेनियम के कण- भाभा अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों की एक रिपोर्ट के मुताबिक पॉवर प्लांट से निकलने वाली राखड़ में यूरेनियम के कण पाए जाते हैं। यह पानी में घुलकर मानव शरीर में जाता है और गंभीर बीमारी फैलाता है। उन्होंने कहा कि इसका एक ही उपाय है नियम के मुताबिक इसका सही डिस्पोजल करना।
यह है नियम- पावर प्लांट को राखड़ डंप करने के लिए उसके पास अलग से एक जगह होनी चाहिए। वहां वह राखड़ को गिराए और हर समय पानी का छिड़काव करे ताकि राखड़ सूख कर उड़े नहीं। इतना ही नहीं वह राखड़ एक तालाब नुमा क्षेत्रफल में डालना जो कि उसे क्षेत्र आवादी वाले क्षेत्र में न फैले। राखड़ के डिस्पोजल के लिए शासन ने फ्लाई ऐश ईट के साथ ही सड़क व अन्य कई निर्माण में इसका उपयोग शुरू कर दिया है।
जांच कर पता लगाया जाएगा- इसकी जानकारी नहीं है। इसकी जांच कर पता लगाया जाएगा कि ऐसा किसने किया। यदि ऐसा पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
-अनीता सावंत, पर्यावरण अधिकारी, बिलासपुर