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CG School: एक स्कूल ऐसा भी.. प्रेयर के दौरान 20 तक पहाड़ा सुनाना अनिवार्य, देखें Video

CG School: छत्तीसगढ़ में एक ऐसा भी स्कूल है जहां प्रेयर के दौरान 20 तक पहाड़ा सुनाना अनिवार्य है। गणित की समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिदिन एक छात्र का चयन किया जाता है...

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बस्तर संभाग में 1600 स्कूल हो जाएंगे बंद ( File Photo - Patrika )

CG School: छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा के नवागढ़ ब्लाक के ग्राम हीरागढ़ (टूरी) के सरकारी प्राइमरी व मिडिल स्कूल के छात्र-छात्राओं को गणित विषय में स्ट्रांग बनाने के लिए यहां के हेडमास्टर ने नायाब तरीका अपनाया है। यहां के प्रत्येक छात्रों को प्रेयर के दौरान व छुट्टी के समय 20 तक का पहाड़ा बच्चों के सामने बोलना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में इन दोनों स्कूल के छात्रों को स्कूल जाने से पहले पहाड़ा याद करना जरूरी रहता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि बच्चों को पहाड़ा याद भी हो रहा है और बच्चे गणित में स्ट्रांग बन रहे हैं। वे चुटकियों में गुणा-भाग वाले सवालों को हल कर रहे हैं।

CG School: वीडियो हो रहा वायरल

इन दिनों हीरागढ़ स्कूल के छोटे छोटे बच्चों का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें बच्चे प्रेयर के समय 20 तक का पहाड़ा फर्राटेदार बोल रहे हैं। इतना ही नहीं इस स्कूल के 50 फीसदी छात्रों को 20 तक का पहाड़ा कंठस्थ याद है। छात्रों का कहना है कि शिक्षकों के निर्देश पर हम रोज अपने घरों में गणित की पढ़ाई पर फोकस कर रहे है।

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जुलाई से शुरुआत, बच्चे भी दे रहे साथ

मिडिल स्कूल के हेडमास्टर नरेंद्र राठौर ने बताया कि इस तरह का प्रयोग हम जुलाई से कर रहे हैं। तब से बच्चे हर रोज पहाड़ा याद करने में पीछे नहीं हट रहे हैं। प्रत्येक बच्चों को प्रेयर के दौरान सामने खड़े होकर पहाड़ा सुनाना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे बच्चों में एक तरह की पढ़ाई के प्रति एक रुचि भी बनी रहती है और वे गणित विषय की पढ़ाई जरूर करते हैं। शिक्षक ने बताया कि इस तरह के प्रयोग के चलते पढ़ाई का स्तर भी काफी हद तक सुधरा है।

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क्या कहते हैं अभिभावक

अभिभावकों का कहना है कि शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए यह प्रयास बेहद सराहनीय है। स्कूल की छुट्टी होने के बाद बच्चे खेलने कूदने के बजाए पढ़ाई में जुट जाते हैं। उन्हें इस बात की चिंता रहती है कि हमें कल प्रेयर में पहाड़ा सुनाना पड़ेगा। इसलिए वे सबसे पहले पहाड़ा याद करते हैं। हालांकि जिन बच्चों को पहाड़ा याद नहीं होता उन्हें दोबारा अवसर दिया जाता है। इस स्कूल के नवाचार को देखकर अन्य स्कूल भी इसका अनुसरण कर रहे हैं।

हेडमास्टर ओमप्रकाश तिवारी ने बताया कि शिक्षा के लिए नवाचार के लिए हमने नया प्रयोग जुलाई से शुरू किया है। इसे लेकर अभिभावकों में बेहतर प्रतिक्रिया सुनने को मिल रही है। साथ ही इससे बच्चों के शिक्षा के स्तर में भी सुधार हो रहा है।