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एक एएसआई व एक प्रधान आरक्षक के भरोसे पुलिस चौकी का संचालन

- यहां बल की संख्या बढ़ाए जाने की मांग की गई है, लेकिन बलों की संख्या बढ़ नहीं पा रही

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एक एएसआई व एक प्रधान आरक्षक के भरोसे पुलिस चौकी का संचालन

एक एएसआई व एक प्रधान आरक्षक के भरोसे पुलिस चौकी का संचालन

जांजगीर-चांपा. जिला अस्पताल का पुलिस चौकी बल की कमी की वजह से निर्बल हो चुकी है। यहां गिनती के बल होने से अपराधों की जांच में आंच आ रही है। एक एएसआई व एक प्रधान आरक्षक के बूते पुलिस चौकी का संचालन करना यहां के कर्मचारियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। यहां बल की संख्या बढ़ाए जाने की मांग की गई है, लेकिन बलों की संख्या बढ़ नहीं पा रही है। जिसके चलते यहां के कर्मचारियों को परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है।

जिला अस्पताल में एक दशक पहले से पुलिस चौकी की स्थापना की गई है। क्योंकि यहां हर रोज तीन से चार मामले ऐसे आते हैं जो अपराधों से जुड़े होते हैं। गंभीर मारपीट, हत्याए सड़क दुर्घटना, दुष्कर्म के लिए एमएलसी सहित अन्य कई मामलों की जांच यहां के पुलिसकर्मियों द्वारा की जाती है।

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खासकर यहां हर रोज तीन से चार मर्ग के केस आते हैं। मामला चाहे ट्रेन से कटकर मौत का हो या जहर खुरानी। फांसी के मामले हो या फिर हत्या का। जिसकी जांच यहां की पुलिसकर्मियों को करनी पड़ती है। लेकिन यहां पर्याप्त बल की व्यवस्था नहीं है।

एक एएसआई को प्रभार दिया गया है। इसके अलावा एक प्रधान आरक्षक की ड्यूटी लगाई गई है। इन कर्मचारियों की ड्यूटी तब भारी पड़ जाती है जब एक साथ दो-दो मर्ग का केस आ जाता है या फिर सड़क दुर्घटना में घायल मरीज एक साथ भर्ती हो जाते हैं। ऐसी परिस्थिति में एक साथ सभी मामले की जांच करना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि दो कर्मचारियों की ड्यूटी दो पालियों में लगाई जाती है। ऐसे वक्त में केवल एक कर्मचारी के बूते अस्पताल में केस के निपटारे का काम होता है।

नगरसैनिकों से नहीं लिया जा सकता काम
रहने को तो यहां दो तीन नगरसैनिकों की भी ड्यूटी लगाई गई है। जो अस्पताल परिसर के भीतर ही सुरक्षा ड्यूटी का काम करते हैं। इनके बूते मर्ग जांच जैसे मामले की फाइन नहीं सौंपी जा सकती। इनकी ड्यूटी केवल अस्पताल परिसर के भीतर होती है। अपराध से जुड़े मामले में इन्हें संलिप्तता नहीं रहती।

इस तरह होते हैं काम प्रभावित
अपराध होने के बाद मामले की डायरी तत्काल कोतवाली थाना पहुंचाना होता है। लेकिन चंद कर्मचारी होने से यह काम प्रभावित होता है। इसके अलावा किसी बड़ी घटना की रिपोर्ट आने के बाद चंद पुलिसकर्मियों को आपाधापी करना पड़ता है। कम कर्मचारी होने से अपराधों की रिपोर्ट समय पर कोतवाली तक नहीं पहुंच पाती। जिसके चलते मामला पेंडिंग होते जाता है।

नियम के मुताबिक यहां कम से कम एक चार के गार्ड की तैनाती स्वीकृत है। जिसमें एक एएसआईए एक प्रधान आरक्षक व दो आरक्षक होना है, लेकिन इतनी स्टाफ नहीं है। यहां केवल एक एएसआई और एक प्रधान आरक्षक की ड्यूटी लगाई गई है। जिसके चलते यहां के कर्मचारियों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

-जिला अस्पताल का पुलिस चौकी में बल की संख्या बढ़ाए जाने की मांग की गई है, लेकिन बल नहीं बढ़ पा रहे हैं। इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दे दी गई है- शीतल सिदार, टीआई कोतवाली