कुछ माह में ही ट्राइबल हॉस्टल हुआ जर्जर, अधिकारी व ठेकेदार की मिलीभगत से हुआ घटिया निर्माण
जांजगीर-चांपा. आदिवासी विकास विभाग एससी-एसटी वर्ग के छात्रों के विकास के नाम पर किस तरह आम जनता का पैसा बंदरबांट कर रहा है उसका जीता जागता उदाहरण बम्हनीडीह अंतर्गत बिर्रा में एक करोड़ 52 लाख रुपए की लागत से बना शासकीय प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास है। ठेकेदार ने इस भवन का निर्माण अधिकारियों से सेटिंग करके मनमाने तरीके से किया है, जिसका खामियाजा अब एसटी वर्ग की बच्चियों को भुगतना पड़ रहा है।
इस हॉस्टल भवन के लिए 1.52 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी। कोरबा के ठेकेदार विजय अग्रवाल ने आपसी तालमेल बिठाकर इस टेंडर को महज दो प्रतिशत कम रेट में हथिया लिया, जबकि यदि सही फाइट होती तो यह काम कम से कम 15.20 प्रतिशत बिलो जाता। अच्छे दर पर टेंडर हो जाने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि निर्माण अच्छा होगा, लेकिन ठेकेदार ने अधिक पैसे कमाने के लालच में तत्कालीन सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग से मिलीभगत कर खुलकर नियमों की धज्जियां उड़ाई और आनन-फानन में निर्माण कार्य को पूरा कर दिया।
इतना ही नहीं विभागीय इंजीनियरों ने बिना काम की गुणवत्ता को परखे मुख्यमंत्री से भी इसका उद्घाटन भी करवा दिया। अब हालत यह है कि महज तीन महीने भी नहीं बीते हैं और इस भवन की दीवारों में दरारें आ चुकी है। दीवारों के ऊपर बनाए गए लेंटल बीम में भी दरार आ गई है। और तो और बनाई गई फर्स की टाइल्स और बाथरूम के नलों की टोंटी भी टूटने लगी हैं और बच्चों को पानी रोकने के लिए लकड़ी व कपड़ा लगाना पड़ रहा है। भवन की हालत देखकर साफ पता चलता है कि इसके निर्माण गुणवत्ता के मानकों का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा गया है।
घटिया काम में सीएम को किया शामिल राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह लगभग तीन महीने पहले बम्हनीडीह में विकास यात्रा के दौरान पहुंचे थे। विभाग को चाहिए था कि वह पहले भवन की गुणवत्ता को परखे उसके बाद उसका उद्घाटन कराए, लेकिन अधिकारियों ने काम को फाइनल कर ठेकेदार को भुगतान करने की जल्दी घटिया निर्माण कार्य का भी उद्घाटन सीएम के हाथों करवा कर उन्हें भी इस काम में शामिल कर दिया है।
-मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मैं इसकी जांच करवाता हूं। यदि ऐसा है तो ठेकेदार से उसे सुधरवाया जाएगा- एचआर चौहानए साहयक आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग जांजगीर