
जांजगीर-चांपा. सीएमएचओ कार्यालय में शासन ने इतना अधिक बजट दे दिया है कि सीएमएचओ डीपीएम और डिस्ट्रिक्ट एकाउंट मैनेजर (डैम) मिलकर उसे खर्च नहीं कर पा रहे हैं। इस लचर कार्यशैली के चलते जांजगीर जिला राज्य में 27 पोजीशन पर पहुंच गया था। इससे नाराज एनएचएम के तत्कालीन डायरेक्टर आर प्रशन्ना ने यहां पदस्थ डिस्ट्रिक्ट एकाउंट मैनेजर रोशनी वर्मा का तबादला बिलासपुर कर दिया और साथ ही डिस्ट्रिक्ट डाटा मैनेजर संदीप साहू की सेवा समाप्त कर दी गई।
इन दोनों की जगह बिलासपुर से डिस्ट्रिक्ट एकाउंट मैनेजर की जगह संजय विल्सन और डिस्ट्रिक्ट डाटा मैनेजर की जगह ताहिर मोहम्मद शेख को पदस्थ किया गया, लेकिन रोशनी वर्मा को यह तबादला आदेश रास नहीं आया और उन्होंने हाईकोर्ट से ताबादला रोकने स्टे लिया। इसके बाद से अब जिले में दो-दो डैम काम कर रहे हैं। राज्य शासन ने जांजगीर जिले की बिगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए बजट सत्र 2017-18 में 27 करोड़ 34 लाख रुपए का आरोपी बजट (रिपोर्ट ऑफ प्रोग्राम) दिया था।
इस राशि में से जिले को 40 प्रतिशत से अधिक राशि खर्च करने का टारगेट दिया गया था, लेकिन अधिकारियों की लचर कार्यशैली से मात्र 27 प्रतिशत बजट ही खर्च किया गया। इससे जिला राज्य में 27वें पायदान में पहुंच गया। इसे देखते हुए एनएचएम के डायरेक्टर ने अक्टूबर 2017 में यहां के डैम का तबादला बिलासपुर कर दिया और बिलासपुर संजय विल्सन को यहां पदस्थ किया।
संजय विल्सन ने शासन के आदेश पर आठ नवंबर को तो यहां ज्वाइनिंग दे दी, लेकिन रोशनी वर्मा स्टे लेकर यहां से नहीं गईं। इससे अब यहां दो-दो डैम काम कर रहे हैं। पिछले दो तीन महीने की कार्यशैली में जिले का स्थान बढ़कर 24वें पोजीशन में पहुंच गया हैए लेकिन यह नए डैम की वजह से हुआ या पुराने यह तय करना अधिकारियों के लिए चुनौती बनता जा रहा है। इस बारे में बात करने के लिए जब सीएमएचओ डॉ. वी जयप्रकाश को फोन लगाया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।
डीपीएम और सीएमएचओ की खींचतान का नतीजा
एनएचएम के जिला कार्यक्रम आधिकारी (डीपीएम) गिरीश कुर्रे और सीएमएचओ डॉ. वी जयप्रकाश के बीच काफी खींचतान चल रही है। इससे जिले का काम प्रभावित हो रहा है। डीपीएम का कहना है कि वह कार्यक्रम बनाकर खर्च का बजट सीएमएचओ के पास भेजते हैं, लेकिन वह हर फाइल को रोक देते हैं। बिना सीएमएचओ के डीपीएम कोई भी बजट पास नहीं कर सकता इससे स्वास्थ्य सेवा सुधारने को लेकर किए जा रहे सभी कार्य ठंडे बस्ते में पड़े हैं।
-बजट खर्च करना मेरे अकेले का काम नहीं है। मेरे द्वारा प्रोग्राम व उसमें खर्च होने वाली राशि का एजेंडा बनाकर सीएमएचओ के पास भेजा जाता है। उनके पास फाइल पड़ी रहने से काम में थोड़ी देर हो रही है। हमारे द्वारा बेहतर कार्य करने की पूरी कोशिश की जा रही है- गिरीश कुर्रे, डीपीएमए एनएचएम जांजगीर
-इसको लेकर मॉनिटरिंग की जा रही है। सही कार्य करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। रही बात दो डैम की तो एक ही डैम कार्य करेगा। दो-चार दिन में तय हो जाएगा कि किसको कहां भेजना है- एसएन भुरे, डायरेक्टर, एनएचएम
Published on:
25 Dec 2017 06:06 pm
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