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करोड़ों के काम की गुणवत्ता जांचने वाले के पास दफ्तर भी नहीं

मिनी माता बांगो परियोजना के अनुसंधान अधिकारी गुण नियंत्रण इकाई जांजगीर के पास एक सुविधायुक्त दफ्तर भी नहीं है। ऐसे में यह विभाग सिंचाई कालोनी के आवासीय मकान में संचालित हो रहा है। वह मकान भी खंडहर हो चुका है।

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करोड़ों के काम की गुणवत्ता जांचने वाले के पास दफ्तर भी नहीं

करोड़ों के काम की गुणवत्ता जांचने वाले के पास दफ्तर भी नहीं

जांजगीर-चांपा। बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है तो वहीं बारहों महीने भवन न जाने कब ढह जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है। जिसके चलते विभागीय अधिकारी हैरत में पड़े रहते हैं। ज्ञात हो कि सिंचाई विभाग के अंतर्गत मिनी माता बांगो परियोजना के अनुसंधान अधिकारी गुण नियंत्रण इकाई जांजगीर का कार्यालय संचालित होता है। यह विभाग सिंचाई विभाग के कार्यों की मॉनिटरिंग कर सीमेंट कांक्रीट की गुणवत्ता का परीक्षण करता है। इस विभाग के पास एक भवन तो है लेकिन वह भवन खंडहर हो चुका है। जिसके चलते आवासीय कमरों में इस विभाग को संचालित किया जा रहा है। यह मकान भी पूरी तरह से खंडहर हो चुका है। छत में पालीथिन ढंककर काम चलाया जा रहा है। दीवारों में दरारें पड़ चुकी है। छत का प्लास्टर उखड़कर गिर रहा है। जिसे देखकर यह कयास लगाया जा रहा है कि भवन न जाने कब गिर जाए।
खुद से कराते हैं मेंटेनेंस
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जर्जर भवन में मेटेनेंस कराने के लिए खुद के पॉकेट से मरम्मत कराना पड़ता है। बीते बारिश के दिनों में जो पॉलिथिन लगाए थे उसका पैसा भी नहीं मिला है। विभागीय अधिकारियों का कहना है मरम्मत के लिए जो भी बिल लगाते हैं उसे कार्यपालन अभियंता से पास कराना पड़ता है। वह भी बड़ी मुश्किल से पास होता है।
हमारे पास भवन है जो जर्जर हो चुका है। काम चलाने के लिए आवासीय मकान को अस्थायी तौर पर आफिस बनाया गया है वह भी काफी जर्जर है। जैसे तैसे काम चल रहा है।
-एसडी राम, सहायक अनुसंधान अधिकारी