
CG Public Opinion : प्रशासन ने नहीं दिया ध्यान तो मुक्तिधाम का इस तरह हो जाएगा अंतिम संस्कार...
बलौदा. नगर पंचायत की अनदेखी के चलते मुक्तिधाम की स्थिति दिन ब दिन बदहाल होते जा रही है। यहां नगर का कूड़ा-करकट फेंका जा रहा है, जिससे वहां पहुंचने वाले लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है। इस संबंध में लगातार शिकायतों के बाद भी कार्रवाई नहीं होने से लोगों में आक्रोश व्यप्त है।
नगर पंचायत की देखरेख में हरदीबाजार रोड पर स्थित मुक्तिधाम बरसों पुराना है। कुछ साल पहले शासन के मुक्तिधाम निमार्ण योजना के तहत निमार्ण कराया गया था, जहां अब अव्यवस्था का आलम है। मुक्तिधाम के चारों ओर नगर का कंचरा डंप करने का अड्डा बनाया गया है, जिससे आसपास सड़ांध की बदबू और गंदगी पसरी हुई है।
मुक्तिधाम के भीतर पसरी हुई गंदगी पर कटीली झाडिय़ां उग आई है। मुक्तिधाम चारो ओर से खुला रहने के कारण आवारा पशुओं का अड्डा बन गया है। इस संबंध में नगर पंचायत द्वारा यहां की सुरक्षा में बरती गई लपरवाही व्यवस्था की पोल खोलता नजर आता है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगरपंचायत के जनप्रतिनिधि व अधिकारियों की लपरवाही व अनदेखी की वजह से हिन्दू पद्धति से पार्थिव देह के अन्तिम संस्कार का एक मात्र स्थान भी स्वच्छ भारत मिशन की अभियान से कोसों दूर नजर आता है।
अन्तिम संस्कार में होती है अड़चन
नगरवासियों का कहना है कि शास्त्रो में वर्णित है पार्थिव देह को मोक्ष की राह तभी मिलती है, जब उसे साफ सुथरे वातावरण में अन्तिम श्रद्धांजलि अर्पित की जाए, लेकिन जब मुक्तिधाम कचरा से पटा हो बदबू से वातावरण दूषित हो, परिसर मे साफ-सफाई का आभाव हो तब यह कहां तक संभव है। मुक्तिधाम में जिधर देखे कचरा की ढेर ही ढेर के बीच पार्थिव शरीर को मुक्ति कैसे मिल रही होगी सोचनीय विषय है। बलौदा नगरवासी के परिजनों के पार्थिव देह को दाह संस्कार के लिए यहां लाते है, तब उन्हें अपनो को अंतिम विदाई साफ-सुुथरे मुक्तिधाम मे न किये जाने का अफसोस होता है, लेकिन आंखों में बेशर्मी का परदा डाले नगर पंचायत के पदाधिकारियों को इस बात से कोई फर्क पड़ता नजर नही आता।
बदहाली के लिए कौन है जिम्मेदार
मुक्तिधाम में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की जवाबदारी नगर पंचायत प्रशासन की है। जैसे पानी छायादार सभागृह, सुखी लकडिय़ां, स्वच्छता की व्यवस्था, मुक्तधाम के चारों ओर दीवार, समतलीकरण, बिजली व्यवस्था, छायादार पौधे लगाना आदि व्यवस्था करने की जिम्मेदारी होने के बावजूद अधिकारी को ऐसे कामों से कोई सरोकार नहीं है। इसका मुख्य कारण यह भी है कि यहां के जनप्रतिनिधि नहीं चाहते कि लोगों को ऐसी कोई सुविधा प्राप्त हो, जबकि शासन द्वारा पार्षदो को दो-दो लाख, अध्यक्ष को पंद्रह लाख का फंड लोगों को सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य के लिए दिया जाता है, लेकिन जनप्रतिनिधि अपने इस फंड का उपयोग उलटे सीधे कामो मे लगा देते है। कभी नगरवासियों से जुड़ी मूलभूत सुविधा व आवश्यक कामो के लिए उपयोग नहीं करते जिसके कारण वर्षो पुराना मुक्तिधाम बदहाल है।
निभाई जाती है औपचारिकता
केन्द्र सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत कभी-कभी अधिकारी व भाजपा के लोगों द्वारा व्यवस्थित जगह पर जाकर साफ-सफाई की औपचारिकता निभाई जाती है। जहां वास्तविक में स्वच्छता की आवश्यकता है, वहां पर कोई सफाई तो क्या जाना भी पसंद नहीं करते।
-मुख्य नगर पालिका अधिकारी को मुक्तिधाम में कचरा फेंकने से मना किया गया था। इसके बावजूद अपनी मनमर्जी से डंप कराया गया है। इसे रोका जाएगा। मुक्तिधाम के विकास के लिए शासन को स्टीमेट दिया गया है- जमुनादेवी रात्रे, अध्यक्ष नगर पंचायत बलौदा
Published on:
08 Jun 2018 01:36 pm
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