scriptइस जंगल में बेतहाशा काटे जा रहे पेड़, स्मार्टफोन से फर्जी देखरेख के बीच प्रकृति की चढ़ा रहे बलि | Deforestation: trees being cut in large number in Jashpur forest | Patrika News

इस जंगल में बेतहाशा काटे जा रहे पेड़, स्मार्टफोन से फर्जी देखरेख के बीच प्रकृति की चढ़ा रहे बलि

locationजशपुर नगरPublished: Sep 18, 2019 02:43:53 pm

Submitted by:

Saurabh Tiwari

स्मार्टफोन से हो रही है जंगलों की फर्जी देख रेख, क्षेत्र में जमकर चल रही है पेड़ों की अवैध कटाई (Deforestation)

इस जंगल में बेतहाशा काटे जा रहे पेड़, स्मार्टफोन से फर्जी देखरेख के बीच प्रकृति की चढ़ा रहे बलि

इस जंगल में बेतहाशा काटे जा रहे पेड़, स्मार्टफोन से फर्जी देखरेख के बीच प्रकृति की चढ़ा रहे बलि

साहीडांड़/जशपुरनगर. वन विभाग के कर्मचारियों की गंभीर लापरवाही के कारण बादलखोल अभयारण्य के अंदर के संरक्षित वन क्षेत्र के जंगल अब सुरक्षित नहीं रह गए हैं। बादलखोल अभ्यारण्य के जंगल लकड़ी तस्करों सहित पशु चरवाहों का भी सुरक्षित जगह बन गया है। बादलखोल अभयारण्य में नारायणपुर से लेकर बगीचा तक कई ग्राम बसे हैं। लगभग हर गांव में वन कर्मचारियों के लिए सरकार ने पक्केे का मकान बना रखा है ताकि जंगलों की देख रेख हो सके। क्षेत्र में हर वन बीट परिक्षेत्र पर भी किसी न किसी का दायित्व भी आबंटन है। (Deforestation) मगर उच्च अधिकारियों के वन परिक्षेत्र में साप्ताहिक या मासिक दौरा न होने के कारण कहें या नेता तक पहुंच होने के धौंस से, वन विभाग के कर्मचारी अपने दायित्व जिला मुख्यालय तो कहीं रेंज कार्यालय से निभाते हैं।
हाथी गश्ती दल बनने से छूट गए जंगल : क्षेत्र के निवासियों और ग्रामीणों का दावा है कि वन विभाग की लापरवाही कहें, मनमानी कहें, या क्या कहें बादलखोल अभयारण्य क्षेत्र के जंगलों को वन विभाग अब शायद ही बचा पाए। क्योंकि जिस दायित्व को निभाने के लिए सरकार चयन किया है वह भूल गए अपना दायित्व। अभ्यारण्य जंगल क्षेत्र में जंगली हाथियों का रहना तय है। कुछ दिन पहले क्षेत्र में हाथियों का कहर चरम पर था जनहानि सहित घरों, फसलों को नुकसान पहुंचाने से क्षेत्र दहल गया था। ग्रामीणों को हाथियों से दूरी बनाने, किस क्षेत्र में हाथी है, हाथियों से छेड़छाड़ न करने के लिए गेम रेंज में हाथी गस्ती दल का क्या गठन कर दिया गया, तब से हाथियां और हाथियों से क्षेत्र के रहवासियों की रक्षा के नाम पर वन विभाग के कर्मचारी वनों की सुरक्षा करने के अपने सबसे अहम दायित्व को ही भूल गए। क्षेत्र के ग्रामीणों की ािशकायत है कि वन विभाग के कर्मचारियों का ये हाल है कि अब कभी कभार मन किया तो एक घंटे शाम को घूम दिए। दिन को घूमने वाला झंझट भी खत्म हो गया है। वन विभाग के हाथी गस्ती दल बनने से जंगल नही जाने का एक बहाना भी बन गया।
पशु चारागाह व लकड़ी तस्कर हो गए सुरक्षित : विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण क्षेत्र के लोगों के लिए फिलहाल बादलखोल अभयारण्य क्षेत्र के जंगल पशु चारागाह और लकड़ी तस्करी करने वालों के लिए सुरक्षित जगह हो गया है। क्षेत्र के लोगों की शिकायत है कि वन विभाग पिछले कुछ महीनों से हाथी गस्ती करने का बहाना मारकर अपने जंगलों की सुरक्षा के मुख्य जिम्मेदारी को भूल गया है। अपना दायित्व जंगलों के अपने आबंटन बीट क्षेत्र तो छोडि़ए मुख्यालय में भ्ज्ञी इन वनकर्मिर्यों का दर्शन करना मुश्किल हो जाता है। जिसके कारण जंगलों में पशु चराने वाले छोटे बड़े हरे भरे पेड़ पौधे को बेख़ौफ़ काटकर पशुओं को खिला रहे हैं। वहीं लकड़ी तस्करों का भी दिन को जंगल क्षेत्र में वन कर्मचारियों के ना घूमने और अपना दायित्व भूलने की जानकारी हो गई है और लकड़ी तस्करी भी बेख़ौफ़ जंगलों को साफ करने में लगे हैं।

ग्रामीणों से दूरी बनाते हैं वनकर्मी : लोगों में शिकायत है कि क्षेत्र में हर गांव में लगभग वन विभाग का भवन है और उक्त भवन में किसी न किसी के अज्ञात नाम का कर्मचारी रह भी रहा है। लेकिन गांव के सरपंच या बुद्धिजीवी लोगों से ये हमेशा दूरी बनाये रखते हैं। वन विभाग के इस क्षेत्र में पदस्थ कर्मचारी ग्राम सभा में अपनी उपस्थिति देना न ही अपने बीट परिक्षेत्र में घूमना न ही संबंधित क्षेत्र के किसी भी लोगों से मिलने का प्रयास करते हैं। क्षेत्र के लोग प्रयास करते हैं कि वन कटाई कम हो जंगल बच जाए अपने स्तर से वन विभाग को लकड़ी तस्करों सहित अन्य मामलों में भी फोन के माध्यम से सूचना देने का प्रयास करते हैं लेकिन मुख्यालय में रहेंगे तब न। और अपना दायित्व भी बहाना मारकर निभा लेते हैं।
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