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नई रेल लाइन के ड्रोन सर्वे का विरोध! पत्थलगांव के ग्रामीणों ने कहा- ऐसे में तो हम भूमिहीन हो जाएंगे

New Rail Line: सोशल मीडिया प्लेटफार्म से इसका वीडियो वायरल होने लगा तो जिले भर में लोगों ने नई रेल लाईन के संभावनाओं में रुकावट डालने वालों को लेकर तीव्र विरोध प्रकट किया...

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new rail line protest

CG New Rail Line: सन 1970 के दशक से जशपुरवासियों के लिए अब तक की सबसे बड़ी मांग रही कोरबा-रांची रेल लाईन की मांग, जो अब सिमटकर धरमजयगढ़-लोहरदगा तक रह गई है। अब जब इस नई प्रस्तावित रेल लाईन की अंतिम ड्रोन सर्वे और रेल लाईन के लिए जमीन अधिग्रहण तक बात पहुंचने वाली है, तब कुछ लोगों के लिए जशपुर आदिवासी बाहुल्य जिले को पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र वाला विशेष सेल्फ गवर्नेंस वाला क्षेत्र बताकर सर्वे और आगे के कार्य पर रुकावट डालने की कोशिश की जा रही है।

New Rail Line: नई रेल लाइन का ग्रामीणा क्यों कर रहे

जब जिले की प्रशासनिक टीम जिसमें पत्थलगांव एसडीएम, तहसीलदार और प्रशासनिक अमले के साथ ही पुलिस बल भी शामिल थी, इनकी मौजूदगी में फायनल ड्रोन सर्वे का कार्य किया जाना था। लेकिन क्षेत्र के ग्रामीणों ने कुछ नेताओं के नेतृत्व में प्रस्तावित नई रेल लाईन को विरोध करते हुए मौके पर गई राजस्व और प्रशासनिक टीम का तीव्र विरोध कर काम में रुकावट डालने की कोशिश की गई।

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शाम तक जब विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म से इसका वीडियो वायरल होने लगा तो जिले भर में लोगों ने नई रेल लाईन के संभावनाओं में रुकावट डालने वालों को लेकर तीव्र विरोध प्रकट किया। लोगों ने इसी विकास विरोधी कार्य बताते हुए गहरी नाराजगी जाहिर की है।

ग्रामीणों ने कहा- ऐसे में तो हो जाएंगे भूमिहीन

ग्राम तिरसोंठ में ग्रामीणों द्वारा रेल्वे सर्वे का विरोध किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले घरजियाबथान के लिए बांध बनाते समय उनकी जमीन ली गई। इसके बाद भारतमाला सड़क निर्माण के लिए भी उनकी जमीन ली गई। और अब रेल्वे के लिए भी उनकी जमीन ली जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रत्येक कार्य के लिए उनकी जमीन ली जा रही है और यही सिलसिला चलता रहा तो वे भूमिहीन हो जाएंगे।

ग्रामीणों ने इस बात की पुष्टि की है। बताया जाता है कि सर्वे दल को रोकने के लिए मौके पर भारी भीड़ इकट्ठा है और सर्वे नहीं करने दिया जा रहा है। यह भी जानकारी मिली है कि स्थिति को संभालने के लिए एसडीएम, तहसीलदार और प्रशासनिक अमले के साथ ही पुलिस बल भी यहां मौजूद है।

चिन्हांकन कर ग्राम सभा की अनुमति ली जाए

ग्रामीणों ने मांग की है कि पहले सर्वे क्षेत्र का स्पष्ट चिन्हांकन किया जाए और ग्राम सभा की अनुमति ली जाए। विरोध में शामिल रूपनारायण एक्का बगीचा और सुनील खलको बागबहार ने कहा कि यह अनुसूचित आदिवासी पंचायत है, यहां केवल आदिवासियों की बात मानी जाएगी। उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार के कानूनों को न मानने की बात कही और संविधान का हवाला देते हुए मुआवजा दर, सेटलमेंट की स्थिति और प्रभावितों को मिलने वाले लाभ की पूर्व जानकारी देने की मांग की। प्रशासन की ओर से तहसीलदार प्रांजल मिश्रा, उमा सिंह, नायब तहसीलदार नीलम पिस्दा एवं थाना प्रभारी विनीत पांडे मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीणों ने विरोध जारी रखा। खबर लिखे जाने तक सर्वे कार्य में अवरोध बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि यह सर्वे तिरसोंठ, चंदरपुर, सूरजगढ़, बेलडेगी, लोकेर, बनगांव और डूमरबहार पंचायतों में किया जाना है।

अधिकारी ने कहा- ग्रामीणों का विरोध जल्दबाजी

ग्रामीणों का आरोप है कि भारतमाला परियोजना में भी ड्रोन से सर्वे के बाद जमीन ले ली गई थी, इसलिए वे अब किसी भी तरह के ड्रोन सर्वे का विरोध कर रहे हैं। रेलवे अधिकारी ने बताया कि अभी केवल सर्वे किया जा रहा है, उसके बाद ही जमीन चिन्हांकित कर रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी जाएगी। मुआवजा तीन से चार गुना मिलने के साथ-साथ अन्य योजनाओं का लाभ भी प्रभावितों को मिलेगा। जानकारों के अनुसार, ग्रामीणों का विरोध फिलहाल जल्दबाजी है क्योंकि अधिग्रहण की गई जमीन की जानकारी अभी स्पष्ट नहीं है। मंगलवार सुबह अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनिल सोनी और एसडीएम आकांक्षा त्रिपाठी के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम मौके पर तैनात रही, लेकिन विरोध बरकरार है।

जशपुर कलेक्टर रोहित व्यास ने कहा कि जो टीम मौके पर सर्वे के लिए गई थी, उनका सर्वे का कार्य पूरा कर लिया गया है। जो शासकीय कार्य में बाधा डाल रहे हैं, उन पर विधि अनुसार कार्रवाई होगी।