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Jaunpur Zila Panchayat President Election: बाहुबली धनंजय सिंह फिर साबित हुए किंग मेकर, अंडरग्राउंड रहकर पत्नी श्रीकला को जिता दिया

Jaunpur Zila Panchayat President Election: जौनपुर में जीत का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी को मिले महज 12 वेाट, अपनों ने ही किया दगा। बीजेपी की बागी आैर भाजपा गठबंधन से अपना दल उम्मीदवार रीता पटेल भी हुईं फेल।

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dhananjay singh wife srikala won

धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह जीतीं

जावेद अहमद

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

जौनपुर.

Jaunpur Zila Panchayat President Election: जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर पूर्व सांसद धनन्जय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह को शानदार जीत मिली है। उन्हें 43 वोट मिले। दूसरे नम्बर पर बीजेपी की बागी नीलम सिंह 28 मतों के साथ रहीं। वहीं सपा को उनके ही सिपाहियों ने दग़ा दे दिया। 40 से 50 सदस्यों का दावा करने वाली सपा को महज 12 सदस्यों ने ही वोट किया।


पूर्व सांसद धनंजय सिंह एक बार फिर किंगमेकर साबित हुए हैं। इस बार उन्होंने अपनी पत्नी श्रीकला सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी दिलाने में कामयाबी हासिल कर ली है। हालांकि उनके सामने निर्दल नीलम सिंह और समाजवादी पार्टी की निशी यादव जैसे चुनौती थी। इसके बावजूद राजनीतिक गुणा-गणित करते हुए उन्होंने 83 में से 43 वोट अपने पक्ष में कर लिए।

इसमें सबसे अहम अपना दल की तरफ से दिए गए समर्थन के तौर पर 7 वोट शामिल हैं। शुरुआत के दिनों में धनंजय सिंह के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी काफी दूर नजर आ रही थी। एक तरफ भाजपा से बागी नीलम सिंह तो दूसरी तरफ करीब 50 सदस्यों का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी की निशी यादव थीं। इन दोनों से पार करने के लिए धनंजय सिंह ने अपनी पूरी ताक़त झोंक दी। धनंजय सिंह का कद और जमीनी पकड़ को देखते हुए एक-एक कर सदस्य उनके पाले में आते गए। इसमें समाजवादी विचारधारा के भी काफी सदस्य उनके खेमे में नज़र आए।


निशी यादव को और सपा को लगा झटका

जिला पंचायत सदस्य के नतीजे सामने आए तो समाजवादी पार्टी ने साफ कहा कि उनकी पार्टी के कई समर्थक इस चुनाव में जीते हैं। यह कुर्सी उनकी ही होगी, लेकिन जब मतदान हुआ तो महज़ 12 सदस्यों ने ही उन्हें वोट किया।


नीलम सिंह को भी नहीं पच रही हार

भाजपा ने अपना दल को जौनपुर की सीट गठबंधन के तहत दे रखी थी, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी का सपना देख रही नीलम सिंह को यह मंजूर नहीं हुआ। नतीजा यह निकला कि नीलम सिंह बागी हो गईं और उन्होंने निर्दल पर्चा भर दिया। उनका नामांकन होने के बाद भारतीय जनता पार्टी की जिला कार्यकारिणी खुलकर उनके साथ हो गई। यहां तक कि उसने गठबंधन धर्म का पालन भी नहीं किया। एक बार तो लगा कि इन परिस्थितियों में नीलम सिंह की जीत सुनिश्चित है, लेकिन जब नतीजे आए तो सारे समीकरण औंधे मुंह गिर गए।