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खुले आसमान में लकड़ी की बल्लियों के सहारे चढ़ा रहे सलाइन

झोला छाप डॉक्टर लोगों की जान से कर रहे खिलवाड़, बंद पड़े दर्जनों उपस्वाथ केन्द्र खोलने की मांग

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खुले आसमान में लकड़ी की बल्लियों के सहारे चढ़ा रहे सलाइन

खुले आसमान में लकड़ी की बल्लियों के सहारे चढ़ा रहे सलाइन

झाबुआ. ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों स्थिति बद से बदतर हो चली है। संक्रमण के चलते कई जान जा चुकी हैं। स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं होने का फायदा ग्रामीण क्षेत्रों के झोलाछाप डॉक्टर कर रहे हैं। जिले भर में कई उपस्वाथ केन्द्र बंद पड़े हैं, इनका उपयोग कोविड केयर सेंटर के रूप में किया जा सकता है। ग्रामीण अंचल के लोग इन दिनों सोशल मीडिया पर बंद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप स्वास्थ्य केंद्र को उपयोगी बनाने की मांग कर रहे हैं। गांवों में स्थिति इतनी बदतर है कि झोलाछाप डॉक्टर खुले आसमान में पेड़ों की छांव या दीवार की आड़ में जमीन पर बैठा कर मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर उप स्वास्थ्य केंद्रों पर लगे हैं ताले

ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकतर स्वास्थ्य केंद्रों पर ताला है। उप स्वास्थ्य केंद्र दौलतपुरा विकासखंड थांदला , उप स्वास्थ्य केंद्र सागवा विकासखंड थांदला, उप स्वास्थ्य केंद्र खच्चर टोड़ी विकासखंड मेघनगर, उप स्वास्थ्य केंद्र कलमोड़ा में जड़े ताले नहीं खुल रहे। यहां के रहवासी स्वास्थ्य लाभ लेने झोलाछाप डॉक्टर के भरोसे हैं। ये डॉक्टर अपने घर के बाहर खुले आसमान में लकड़ी की बल्लियों पर तार या धागा बांधकर बोतल चढ़ा रहे हैं। घर के एक तरफ दीवार की छांव में, जमीन पर खुले आसमान के नीचे लेटा कर इलाज कर रहे हैं। मरीजों के बीच में ज्यादा दूरी भी नहीं है।