18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अधूरा फर्नीचर दिया, प्लाय खरीदनी पड़ी

90 लाख का आवंटन आया था, दूसरी फर्म से खरीदे, प्राचार्य बोले तत्कालीन भंडार प्रभारी के कहने पर दिया था मांग पत्र

2 min read
Google source verification

image

Gitesh Dwivedi

Dec 10, 2016

jhabua

jhabua

झाबुआ. जिले के संकुलों में शिक्षा सत्र 2015-16 में की गई फर्नीचरों की खरीदी का मामला पेचीदा होता जा रहा है। जिले में जहां बांटेन टेक्नोमेक प्राइवेट लिमिटेड ने फर्नीचरों की सप्लाई की, वहीं मप्र राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ मर्यादित गांधी हॉल प्रांगण इंदौर से भी जिले के संकुलों में पिछले वर्ष 12 अगस्त को फर्नीचर की खेप आई थी। जबकि जिला मुख्यालय में खुद आदिवासी विकास विभाग का प्रशिक्षण सह उत्पादन टीसीपीसी केंंद्र है। जहां फर्नीचरों का प्रशिक्षण देने के साथ ही इसका निर्माण भी किया जाता है। यहां से फर्नीचर न बनवाकर बाहर से फर्नीचर की खरीदी की गई।


विभागीय सूत्रों की मानें तो उक्त शिक्षा सत्र में संकुल व स्कूलों में खरीदी करने के लिए करीब 90 लाख रुपए का आवंटन जारी हुआ था। इसकी अधिकांश खरीदी प्राचार्यों से न करवाते हुए वरिष्ठ कार्यालय से की गई। जबकि अधिकारी इस मामले में अनभिज्ञता जता रहे हैं। ढेकल बड़ी और सेमलिया बड़ा संकुल में सहकारी उपभोक्ता संघ मर्यादित गांधी हॉल इंदौर ने 45 सेट फर्नीचर सप्लाय किए। इसके अलावा अन्य संकुलों में भी फर्नीचर सप्लाय किए गए। संकुलों में जिस समय फर्नीचर लाए गए थे। उस समय इनके ऊपर लगने वाले प्लाय नहीं दिए थे। लंबे समय तक फर्नीचर अनुपयोगी पड़े रहे। कई बार सूचना देने के बाद भी जब फर्नीचर के प्लाय नहीं भेजे और कसने के लिए कोई कारीगर नहीं आया तो दोनों संकुलों द्वारा आवंटित राशि से फर्नीचर के प्लाय स्थानीय स्तर से खरीदकर लगवाए। फर्नीचर स्कूल के विद्यार्थियों ने कसे।
सेमलिया संकुल में आए 20 सेट फर्नीचर का 80 हजार रुपए का भुगतान किया गया। जबकि ढेकल संकुल का एक लाख रुपए का भुगतान किया था। प्लाय में सेमलिया संकुल का 20 हजार व ढेकल संकुल का 25 हजार रुपया अलग से खर्च हुआ। वहीं सप्लाय करने वाली दोनों ही संकुलों के फर्नीचर ढेकल संकुल में ही उतार गए थे, जिन्हें किराए के ट्रैक्टर से सेमलिया बड़ा पहुंचाया। प्राचार्य का कहना है कि उनके द्वारा न तो इसकी मांग की गई थी न ही किसी प्रकार का भुगतान किया। भुगतान सहायक आयुक्त कार्यालय की भंडार शाखा से हुआ है।
हमने सिर्फ मांग पत्र दिया था
&फर्नीचर के मांग पत्र देने के लिए तत्कालीन भंडार प्रभारी लोकेंद्रसिंह सोलंकी ने कहा था। संकुल में फर्नीचर आ जाएंगे। इसलिए हमने मांग पत्र दे दिए। इसका भुगतान भंडार शाखा से हुआ। हमने कोई भुगतान नहीं किया।
राकेश सोनी, संकुल प्राचार्य ढेकल बड़ी
प्राचार्यों ने की खरीदी
&फर्नीचर की खरीदी प्राचार्यों ने की है। भुगतान भी उनके द्वारा किया गया। हमारे यहां से तो सिर्फ आवंटन किया गया। मैं तो चार महीने ही उक्त पद पर रहा। फिलहाल रिकॉर्ड जब्त है। उससे पता चल जाता, किसने खरीदी की है और कितना आवंटन आया था।
लोकेंद्रसिंह सोलंकी, तत्कालीन भंडार प्रभारी