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महिलाओं ने बनाया होली के लिए इको फ्रेंडली गुलाल, त्वचा नहीं होगी खराब

आजीविका मिशन से जुड़े 8 महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई है।

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Women made eco friendly gulal for Holi, skin will not be spoiled

Women made eco friendly gulal for Holi, skin will not be spoiled

झाबुआ। यदि अब अपनी त्वचा खराब होने से होली खेलने से पीछे हट रहे है तो आप के लिए अच्छी खबर है। रंगों के पर्व में होली को लेकर महिलाओं ने ईक्रो फ्रेंडली गुलाल तैयार किया है। इस गुलाल कर प्रयोग करने से त्वचा में कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। गौरतलब है कि लगातार दो साल कोरोना की मार झेलने के बाद इस साल रंगों का त्योहार होली बेहद रंगीन होगा। खास बात यह है कि होली पर्व के लिए इस बार आदिवासी महिलाओं ने प्राकृतिक वस्तुओं से हर्बल गुलाल ही तैयार कर दिया। इस हर्बल गुलाल की मांग प्रदेश की राजधानी भोपाल से लेकर इंदौर तक है।

हर्बल गुलाल बनाने में मप्र-डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े 8 महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई है। इन महिलाओं ने हर्बल गुलाल बनाने के लिए पलाश के फू ल, गुलाब की पंखुडिय़ां, चुकंदर और पालक का इस्तेमाल किया गया है। लिहाजा इस हर्बल गुलाल से होली खेलने पर त्वचा खराब भी नहीं होगी। जिन महिला स्वयं सहायता समूह ने ये गुलाल बनाया है, उनमें ग्राम गोला छोटी का राधे-राधे समूह, भारती समूह, ग्राम बामन सेमलिया का सूर्या समूह, ग्राम संदला का दशामाता समूह, ग्राम गेलर बड़ी का गंगा समूह, ग्राम ढेबर बड़ी का मोनिका समूह और ग्राम बिलीडोज का चांदनी समूह शामिल है। इन समूह की 43 महिलाएं दिन रात काम में जुटी रही। तब जाकर लगभग 2 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार हो पाया।

महिलाओं ने विशेष प्रशिक्षण लेकर किया तैयार

हर्बल गुलाल तैयार करने के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण दिया गया। आजकल लोग रसायनिक रंगो की वजह से मनभरकर होली नहीं खेल पाते। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने हर्बल गुलाल तैयार करवाया है। ये पूरी तरह से इको फ्रेंडली और स्किन फ्रेंडली है।