इन किसानों का कहना है कि जैविक तरीके से खेती करने से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता है। फसलों के मित्र कीट भी सुरक्षित रहते हैं। वे अन्य कीट को खा जाते हैं, जबकि रसायन से खेती करने से पर्यावरण दूषित होता है। इंसानों में चर्म रोग व कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी सामने आ रही है। यह रसायनयुक्त खेती का ही परिणाम है।
झालावाड़ जिले में ऐसे बड़ा जैविक का रकबा वर्ष किसान हैक्टेयर 2022 5400 9545 2023 6900 11120 जैविक खेती समूह किसान जमीन हेक्टेयर में अरनिया जैविक समूह 497 810.7
बड़बेला जैविक समूह 493 810.55 बाडिया जैविक समूह 500 870.33 मिश्रोली जैविक समूह 497 775.89 भवानीमंडी जैविक समूह 498 804.95 बरदी जैविक समूह 500 891.9 गरवाड़ा जैविक समूह 500 866.3
गुराडिया जोगा जैविक समूह 490 780.22 खेडा रूदा जैविक समूह 494 828.95 खाती खेडा जैविक समूह 499 1172.75 शिवपुरा जैविक समूह 499 761.8 नसीराबाद जैविक समूह 500 669 मोलकिया जैविक समूह 500 737.95
पाटलिया जैविक समूह 490 713.1 मालकिया खुर्द जैविक समूह 500 763 कदम जैविक समूह 298 561.61 कुल 7755 12819 जैविक खेती के ये है प्रमुख फायदे शुद्ध अनाज व सब्जियों को पकाने में कम समय लगता है
कैंसर, हृदय से संबधित कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है लगातार बंजर हो रही कृषि भूमि को बचाया जा सकता है जैविक खेती से फसल मित्र किटों को बचाया जा सकता है जो खेतों में कई तरह के फायदे करते हैं
जैविक खेती करने से चर्मरोग व कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है। जैविक खेती पर सरकार दें ध्यान
जिले में बड़ी संख्या में किसान जैविक खेती कर रहे है। कृषि विज्ञान केन्द्र व कृषि विश्वविद्यालय में भी जैविक खेती पर नियमित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। कई गंभीर बीमारियां कीटनाशक व यूरिया के फ सलों में अधिक प्रयोग करने से हो रही है। हमें हमारी सेहत सुधारना है तो जैविक खेती अपनानी होगी। मैं 9 बीघा में गेहूं, मैथी, धनिया आदि फसल करता हूं।
देवीलाल गुर्जरए जैविक किसानए धतुरिया चार दिन तक रहता है रसायन का असर
रसायन का प्रयोग करने पर फसल व सब्जियों में उसका असर चार दिन तक रहता है। उसी अनाज व सब्जियों को अगर हम खाते हैं तो उसका असर हमारे स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। कई गंभीर बीमारियों का कारण यही है। इसी वजह से मैं तीन बीघा में पूरी तरह से जैविक खेती करता हूं। जिसमें रबी में गेहूंए व सब्जी लेता हूं। खरीफ में मक्काए उड़दएचंवलाए मंूग आदि जैविक करता हूं।
गोपाल दांगीए जैविक किसान जेताखेडी। जिले में 12000 हेक्टेयर भूमि पर 7 हजार से अधिक किसान समूह में गोमूत्र व गोबर की खाद व कीटनाशक को काम में लेकर जैविक खेती कर रहे हैं। नौ एकल किसान है जिन्होने प्रमाणीकरण करवाकर जैविक खेती को अपनाया है।
मुकेश मीणा, सहायक बीज प्रमाणीकरण अधिकारी, राजस्थान राज्य बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण संस्थाए झालावाड़।