Jhalawar Govt School: राजस्थान के झालावाड़ में सरकारी स्कूल की बिल्डिंग का हिस्सा गिरने से अब तक 8 बच्चों की मौत हो चुकी है। आइए अब यह जानते हैं कि झालावाड़ जिले में ऐसे कितने स्कूल हैं, जो जर्जर हालत में है।
Jhalawar School Building Collapse: झालावाड़। राजस्थान के झालावाड़ में सरकारी स्कूल की बिल्डिंग का हिस्सा गिरने से अब तक 7 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं, 27 से ज्यादा बच्चे घायल है। हादसे के बाद शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने जांच के आदेश दे दिए है।
हादसा शुक्रवार सुबह मनोहरथाना ब्लॉक के पीपलोदी सरकारी स्कूल में हुआ है। जब 7वीं कक्षा में 35 बच्चे बैठे हुए थे। तभी बारिश के चलते स्कूल की छत भरभरा कर गिर गई। सभी बच्चे मलबे में दब गए। शिक्षकों ने ग्रामीणों की मदद से सभी बच्चों को मलबे से बाहर निकाला। तब तक चार बच्चों की मौत हो गई। वहीं, दो बच्चों ने अस्पताल ले जाते समय दम तोड़ दिया। ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल काफी पुराना था और जर्जर हालत में था। कई बार अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी ध्यान नहीं दिया और अब बड़ा हादसा हो गया। आइए अब यह जानते हैं कि झालावाड़ जिले में ऐसे कितने स्कूल हैं, जो जर्जर हालत में है।
जानकारी के मुताबिक झालावाड़ जिले में करीब 80 स्कूल ऐसे हैं जो लंबे समय से मरम्मत मांग रहे हैं। लेकिन, बजट के अभाव में इन स्कूलों की मरम्मत नहीं हो पा रही है। ऐसे में कई स्कूलों में पानी भर रहा है तो कई स्कूलों की छतों से पानी टपक रहा है। जिसके चलते स्कूली बच्चों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। वहीं, हादसे का डर भी सताता रहता है। जिले में 13 सरकारी स्कूल ऐसे है जो जर्जर अवस्था में है, उन्हें गिराकर नए भवन बनाने की जरुरत है।
झालावाड़ जिले के 80 स्कूल भवनों में मरम्मत की जरूरत है। करीब 40 स्कूलों में छत व अन्य काम की आवश्यकता है। वहीं, कई स्कूल भवन कंडम हो गए हैै। ऐसे स्कूलों की मरम्मत सख्त जरुरी है। 40 स्कूल तो ऐसे हैं जहां बारिश के दिनों में सबसे ज्यादा परेशानी होती है। इन स्कूलों की छत ही कमजोर है। बारिश के दिनों में छत से पानी रिसता है और कक्षा में गिरता है। शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों की मरम्मत के लिए सूची सरकार को भेज चुका है। लेकिन, अभी तक इन स्कूलों में मरम्मत कार्य नहीं हुआ है।
मरम्मत योग्य स्कूल: 80
भवनविहीन स्कूल: 2
जर्जर स्कूल: 13
झालावाड़ जिले में सबसे ज्यादा जर्जर स्कूल भवन अकलेरा ब्लॉक में है। यहां आधा दर्जन से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं, जिसका भवन जर्जर है। इनकी जानकारी दूसरे साल भी दी गई है, लेकिन सरकार ने अभी तक इस ओर ध्यान नहीं दिया है। जबकि कई स्कूल तो 1980 से लेकर 90 के बीच में बने हुए है। ऐसे में समय रहते इनकी मरम्मत बहुत जरूरी है।
भवानीमंडी: शोभाजी का खेड़ा स्कूल
अकलेरा: डोरियाखेड़ी
डग: लूनाखेड़ा
बकानी: दिन्याखेड़ी
बकानी: रघुनाथपुरा
बकानी: गणेशपुरा
अकलेरा: पटाड़ी
खानपुर: लूकट
बकानी: आमझर कला
खानपुर: रूपाहेड़ा
मनोहरथाना: मोतीपुरा सोरती
मनोहरथाना: धामाहेड़ा
मनोहरथाना: पिपलिया जागीर
कई स्कूलों में जर्जर छत व दीवारें होने से छात्रों को खतरे के नीचे बैठ कर पढ़ाई करने की मजबूरी है, कई जगह दीवारें भी दरकने लगी। स्कूलों की मरम्मत की मांग संबंधित ग्राम के ग्रामीण व शाला प्रबंधन समिति भी कर चुकी है। इनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। समय पर बजट आएं तो इन स्कूलों के हालत सुधरे।