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जंगल में दाह संस्कार की मजबूरी

-गांव में नही है मुक्तिधाम, दुर्गम रास्ता पार करना पड़ता है-वन क्षेत्र की वजह से है परेशानी

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Cremation in the forest

जंगल में दाह संस्कार की मजबूरी


जंगल में दाह संस्कार की मजबूरी
-गांव में नही है मुक्तिधाम, दुर्गम रास्ता पार करना पड़ता है
-वन क्षेत्र की वजह से है परेशानी
-जितेंद्र जैकी-
झालावाड़. जिले की ग्राम पंचायत सलोतिया के गांव झिरनियां में मुक्तिधाम नही होने से ग्रामीणों को किसी के निधन पर दाह संस्कार के लिए जंगल का रुख करना पड़ता है। मंगलवार को भी गांव की एक बुर्जुग महिला सोनी बाई के निधन पर ग्रामीणों ने करीब एक किलोमीटर दूर जंगल में जाकर दाह संस्कार किया। परेशान ग्रामीणों ने इस दौरान गांव में ही मुक्तिधाम की मांग की है लेकिन गांव के आसपास वन क्षेत्र होने से मुक्तिधाम के लिए जगह उपलब्ध नही हो पा रही है। कोटा मार्ग पर स्थित करीब 200 घरों के गावं झिरनियां की करीब 850 की जनसंख्या है। लेकिन गंाव के आसपास पूरा वनक्षेत्र है। ग्राम पंचायत की ओर से गंाव में ही मुक्तिधाम के निर्माण के लिए 12 लाख रुपए स्वीकृत भी किए जा चुके है लेकिन गंाव में करीब 90 प्रतिशत वनक्षेत्र होने से मुक्तिधाम के लिए जगह नही मिल पा रही है।
-बहुत परेशानी आती है
गांव के युवक सोनू कुमार भील ने बताया कि गंाव में मुक्तिधाम के लिए कोई जगह नही है क्योकि चारो ओर वन क्षेत्र है इसलिए गंाव में किसी की मृत्यु होने पर उसे करीब एक किलोमीटर दूर जंगल मे ले जाना पड़ता है। जंगल का रास्ता बहुत ही दुर्गम, कटिला, पथरीला व कच्ची पगडड़ी नुमा है। इसमें से अर्थी ले जाना बहुत कठिन कार्य होता है। जंगल में एक स्थान पर दाह संस्कार की रस्म करना मजूबरी है। वहां पर ग्रामीणों को दाह संस्कार के सामान ले जाने में भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी बारिश में आती है। इस बारे में कई बार शिकायत की गई लेकिन कोई हल नही निकला।
-अधिकारियों तक परेशानी पहुंचा दी है
इस सम्बंध में ग्राम पंचायत सलोतिया की सरपंच मंजू कुमारी का कहना है कि गंाव झिरनिया में मुक्तिधाम के निर्माण के लिए ग्राम पंचायत की ओर से 12 लाख रुपए स्वीकृत भी किए जा चुके है लेकिन गांव में करीब 90 प्रतिशत क्षेत्र वन विभाग में है इसलिए मुक्तिधाम का निर्माण नही हो पा रहा है। हमने जिला परिषद व रात्री चौपाल में जिला कलक्टर को भी इस समस्या से अवगत करा दिया है।


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