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झालावाड़

काले सोने की खेती में चांदी से चमकने लगे फूल, सुरक्षा में रात-दिन तैनात है किसान

इन दिनों अफीम की फसल सफेद फूलों से लहलहा रही है। ऐसे में किसानों ने काले सोने की खेती की सुरक्षा भी बढ़ा दी है।

झालावाड़Feb 08, 2025 / 11:52 am

jagdish paraliya

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अफीम पर सफेद फूल आने के साथ किसानों की परेशानियां बढ़ गई है। आगामी 20 से 25 दिनों में अफीम के डोडे पर चीरा लगने का काम शुरू हो जाएगा। इन दिनों किसान अफीम फसल को लेकर चिंता में है। वर्तमान में तेज हवाएं चलना शुरू हो गई है। ऐसे में अफीम के पौधे के झुकने की आशंका में किसानों ने रस्सी का जाल बनाकर पौधों को संभाला है।
इन दिनों अफीम की फसल सफेद फूलों से लहलहा रही है। ऐसे में किसानों ने काले सोने की खेती की सुरक्षा भी बढ़ा दी है। फसल 80 से 90 दिन की हो चुकी है यानि यह फसल के युवा होने के दिन है। फूलों से भी अब महक उठने लगी है और पौधों में डोडे भी आने लगे हैं।
भवानीमंडी क्षेत्र के कुंड़ीखेडा के पूर्व सरपंच विजय सिंह व मिश्रोली के आंक्या गांव निवासी मनोहर कुमार ने बताया कि इस वर्ष फसल की बोवनी करीब 20 दिन लेट हुई है। इसलिए अब जाकर खेत फूलों से भरे हैं। गत वर्ष 9 जनवरी को प्रत्येक किसानों के खेतों में फसल पर फूल लहलहाने लगे थे और फरवरी तक लुहाई-चिराई का कार्य शुरू हो गया था लेकिन इस बार फसल 20 दिन लेट है।

फूल आने के साथ ही बढ़ी चिंता

अफीम पर सफेद फूल आने के साथ किसानों की परेशानियां बढ़ गई है। आगामी 20 से 25 दिनों में अफीम के डोडे पर चीरा लगने का काम शुरू हो जाएगा। इन दिनों किसान अफीम फसल को लेकर चिंता में है। वर्तमान में तेज हवाएं चलना शुरू हो गई है। ऐसे में अफीम के पौधे के झुकने की आशंका में किसानों ने रस्सी का जाल बनाकर पौधों को संभाला है। सुरक्षा के साथ पौधों को खड़ा रखने में भी किसान कड़ी मशक्कत कर रहे हैं।

अभी और सिंचाई होगी

किसान प्रकाश ने बताया कि अफीम फसल में 7 से 8 बार सिंचाई की जा चुकी है। अभी दो से तीन बार और सिंचाई की जाएगी। इसके बाद लुहाई -चिराई शुरू होगी। हालांकि अभी भी जिन किसानों ने देरी से बोवनी की थी उनकी फसलों पर फूल नहीं आए है। इसमें अधिकांश सीपीएस पट्टेधारी किसानों की संख्या है। किसानों ने बताया कि 10 आरी रकबा में खाद, बीज, दवाई सहित अन्य खर्च मिलाकर करीब 35 से 40 हजार से भी ज्यादा खर्च आता है।

नील गायों से बचाव के लिए लगाया जाल

किसान मांगूं सिंह, राधू सिंह ने बताया कि क्षेत्र में रोजड़ों का आतंक ज्यादा है। ऐसे में सुरक्षा के लिए रात-दिन खेतों पर ही रहना पड़ रहा है। अफीम फसल पर क्षतिपूर्ति का मुआवजा भी नहीं मिलता है। ऐसे में नुकसान पर पट्टा बचाना व औसत पूरी करना भी मुश्किल हो जाता है। नीलगाय से सुरक्षा के लिए किसानों ने खेत के चारों और जाल लगाया है।

विशेष औजार से लगाते चीरा

क्षेत्र के किसान मान सिंह ने बताया कि इस फसल में चीरा लगने एवं तुलाई होने तक कड़ी मेहनत होती है। डोड़े तैयार होने के बाद विशेष औजार द्वारा इनको चीरा लगाकर उससे निकलने वाले दूध को भी विशेष तरीके से एकत्रित किया जाता है। यही एकत्रित दूध काला सोना अफीम कहलाती है जो कि एक निर्धारित मात्रा में इकठी् कर नारकोटिक्स विभाग को तुलवाई जाती है।

इनका कहना है…

विभाग द्वारा 1219 पट्टेे चीरा पद्धति में दिए गए हैं। वहीं 1685 पट्टे सीपीएस में दिए गए है। सभी जगह फूल आ चुके हैं। साथ ही इस वर्ष जिन किसानों ने 68 किलो से कम डोडे दिए हैं ऐसे 1740 पट्टे होल्ड पर रखे गए हैं।
महेन्द्र जैन, जिला अफीम अधिकारी झालावाड़

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