
हरिसिंह गुर्जर
मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बाद राजस्थान में सोयाबीन की सबसे ज्यादा पैदावार होती है। यहां दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र के जिले झालावाड़, कोटा, बारां, चित्तौडग़ढ़ और प्रतापगढ़ में इसका उत्पादन होता है। झालावाड़ जिले की खरीफ की यह सबसे प्रमुख फसल है।
जिले में करीब ढाई लाख हैक्टेयर से अधिक क्षेत्र में इसकी बुवाई होती है। हर साल औसतन 20 हजार मीट्रिक टन सोयाबीन का उत्पादन होता है, लेकिन सोयाबीन और उससे जुड़े उत्पादों का फायदा किसानों को नहीं मिल रहा। उपज का पूरा दाम नहीं मिलने से जहां किसान निराश है, वहीं अन्य राज्यों के व्यापारी सस्ते दामों में इसे खरीदकर ले जा रहे है। अगर स्थानीय स्तर पर ही सोयाबीन के उत्पाद बनाए जाएं तो जिले के किसानों को अच्छा मुनाफ ा तथा युवाओं को रोजगार मिल सकता है। जिले की आर्थिक उन्नति भी होगी। स्थानीय स्तर पर सोयाबीन से सम्बंधित कोई प्रसंस्करण यूनिट नहीं होने से यहां से हजारों मीट्रिक टन सोयाबीन दूसरे प्रदेशों और देशों में जा रही है।
इन योजनाओं से जुड़ सकते है युवा
- मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना में 8 फ ीसदी ब्याज में छूट है, इसमें 25 लाख का उद्योग लगा सकते हैं।
- प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत एससी, एसटी, महिला व दिव्यांगों को 35 फ ीसदी तथा सामान्य को 25 फ ीसदी सब्सिडी है। इस योजना में 50 लाख तक का उद्योग लगा सकते हैं।
- राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना में किसी भी तरह की यूनिट स्थापित करने के लिए बैंक से 6 फ ीसदी की सब्सिडी का प्रावधान है। जिला स्तर पर 10 करोड़ तक ऋण लिया जा सकता है।
-डॉ.भीमराव अम्बेडकर दलित आदिवासी उद्यम प्रोत्साहन योजना में सर्विस क्षेत्र में 5 करोड़ तथा मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 10 करोड़ तक का उद्योग लगा सकते हैं। इसमें अलग स्लैब के हिसाब से सब्सिडी देय है।
ये उत्पाद बनाए जा सकते है
सोया मिल्क-
यह एक तरह से सोयाबीन से निकाला गया गर्म पानी है सोया मिल्क को डेयरी दूध की तरह ही रखा और उपयोग में लिया जा सकता है। सोयाबीन से दूध बनाने के लिए सोयाबीन के बीज को अच्छे से मशीन में धो लें और उन्हें 3-4 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। इसके बाद मिक्सर में गर्म पानी डालकर इसका दूध बनाया जा सकता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन और खनिज से भरपूर होने के साथ ही यह लेक्टोज तथा कोलेस्ट्रॉल मुक्त है और इसमें सेचुरेटेड वसा भी कम होते है। 125 ग्राम सोयाबीन से एक लीटर दूध बनाया जा सकता है।
दही व पनीर
सोयाबीन दूध और डेयरी के दूध को आधे-आधे अनुपात में मिलाकर दही बनाया जा सकता है। इसमें उच्च पोषक तत्व होते हैं। इसी दही से सोया पनीर बनाया जा सकता है। इसे पनीर की तरह उपयोग में लिया जा सकता है। इन दिनों कोटा में इसकी भारी मांग है, कोटा में मैस, हॉस्टल, विवाह समारोह में अधिकांशत: सोया पनीर का ही उपयोग किया जा रहा है। यह दूध पनीर से सस्ता व पौष्टिक भी होता है।
सोया आटा
सोयाबीन का आटा भी बनाया जाता है। सोया के आटे को विभिन्न तरीकों से बनाया जा सकता है। इसे फु ल फैटेड, डिफैटेड, रोस्टेड, एंजाइम या बिना एंजाइम वाला, लेसिथिनेटेड आदि तरीके से बनाया जा सकता है। इसे कई लोग गेहूं के साथ काम में लेते हैं। इसके अलावा सोया उपमा, सोया बड़ी जैसे कई उत्पाद भी सोयाबीन से बनाए जा सकते हैं। इसके लिए छोटे व बड़े उद्योग लगाए जा सकते हैं।
सोया तेल
यूं तो आजकल सोयाबीन का अधिकांश उपयोग उसका तेल निकालने में ही हो रहा है, लेकिन अभी जिले में सायोबीन तेल का कोई भी उद्योग नहीं लगने से सारा जिंस बाहर जा रहा है। ऐसे में जिले में बहुतायत मात्रा में होने के बाद भी स्थानीय किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
तीन साल में सोयाबीन का उत्पादन
वर्ष क्षेत्रफल [ हैक्टेयर में] उत्पादन [मीट्रिक टन]
2021 274066 205662.10
2022 283104 242054
2023 283901 307749
एक्सपर्ट व्यू
'' इन दिनों सोयाबीन के कई तरह के उत्पाद बनाए जा रहे हैं। जिले की खरीफ सीजन में सोयाबीन सबसे ज्यादा होने वाली फसल है। इससे सोया मिल्क, दही, पनीर, फ ोर्टिफाइड आटा, बड़ी आदि बनाए जा सकते हैं। युवा इस दिशा में काम करें तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। कम लागत में इसका उद्योग लगाया जा सकता है। स्थानीय स्तर पर ही किसानों से माल मिलने से इसकी समस्या भी नहीं होगी। सरकार भी अनुदान दे रही है। इन दिनों को कोटा में पनीर की काफ ी मांग है। सिंथेटिक पनीर से तो सोया पनीर कई गुणा अच्छा है जो पौष्टिक भी है। इसमें अच्छा स्कोप है। इससे तेल, नूडल्स, सोयाविटा आदि बनाए जा सकते हैं।
डॉ.मधुसुधन आचार्य, पूर्व डीन उद्यान एवं वानिकी महाविद्यालय,झालावाड़।
'' सरकार लघु व वृहृद उद्योग लगाने के लिए 5 लाख से लेकर 10 करोड़ तक का ऋण दे रही है। इसमें अलग-अलग सब्सिडी है। कोई भी युवा उद्यमी इस बारे में कार्यालय में आकर अधिक जानकारी ले सकता है।
अमृतलाल मीणा, महाप्रबन्धक जिला उद्योग केन्द्र झालावाड़
'' जिले हर वर्ष ढाई लाख हैक्टेयर से अधिक क्षेत्र मेें सोयाबीन की बुवाई होती है। इससे दूध, दही, पनीर व आटा भी बनने लगा है। इसमें 42 फीसदी प्रोटीन होता है। ये शरीर के लिए भी बहुत फ ायदेमंद होती है।
कैलाश चन्द मीणा, संयुक्त निदेशक कृषि विभाग झालावाड़
Published on:
02 Aug 2024 11:25 am
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