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सिर्फ दूध ठंडा कर कोटा भेजने का हो रहा काम, झालावाड़ डेयरी को 1 करोड़ 30 लाख की चपत

झालावाड-बारां सरस डेयरी में दूध तो आ रहा है। लेकिन यहां सिर्फ दूध ठंडा कर कोटा भेजन का ही काम हो रहा है।

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झालावाड़. झालावाड-बारां सरस डेयरी में दूध तो आ रहा है। लेकिन यहां सिर्फ दूध ठंडा कर कोटा भेजन का ही काम हो रहा है। जबकि यहां किसी समय 213 पंजीकृत समितियों के 6700 सदस्य जुड़े हुए थे। अब समितियां सिर्फ 75 ही रह गई, वहीं सक्रिय सदस्य मात्र 500 ही है।ऐसे में हर माह डेयरी को करीब डेढ़ से दो करोड़ का मिलने वाला राजस्व नहीं मिल पा रहा है।

ये हालात इसलिए बने है कि यहां 14 मई 2022 को सरस प्लांट के बॉयलर के जल जाने के बाद से इसे फिर से चालू करने के लिए इसे सुधरवाने या नया बॉयलर खरीदने के लिए किसी ने कोई एक्शन नहीं लिया। इसके चलते जिले के हजारों किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है।

प्लांट के बंद होने से किसानों के करोड़ों रुपए अटका तो किसानों ने दूध देना ही बंद कर दिया। एक समय ऐसा आया कि प्लांट में मात्र 5 हजार लीटर दूध रह गया। ऐसे में प्लांट बंद हो गया। जब से लेकर आज तक प्लांट बंद है, अब यहां सिर्फ गांवों से आने वाला दूध चिलिंग प्लांट में ठंंडा होकर कोटा सरस डेयरी में जा रहा है। इससे जिले की डेयरी को राजस्व का करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है।

अब जिलेवासियों को डबल इंजन की नई सरकार से उम्मीद है कि हर माह करोड़ों रुपए का राजस्व देने वाले प्लांट पर मात्र 15 लाख रुपए मरम्मत पर खर्च कर फिर से इसे चालू करवाया जा सकता है।

अभी आ रहा है 20 हजार लीटर दूध-

झालावाड़ सरस डेयरी में इस समय 75 समितियों से 20 हजार लीटर दूध प्रतिदिन आ रहा है। जिसकी कीमत करीब 9 से 10 लाख के बीच है। किसानों को करीब 20 दिन का बकाया डेढ़ से दो करोड़ के बीच चल रहा है। हालांकि कोटा डेयरी से झालावाड़ डेयरी को 3 करोड़ 23 लाख रुपए लेना है, जो 31 दिसंबर 2023 तक का बकाया भुगतान पशुपालकों को होना है।

1 करोड़ 30 लाख का हर माह लग रहा फटका-

झालावाड़ सहकारी दूग्ध डेयरी को हर माह 1 करोड़ 30 रुपए का नुकसान हो रहा है। डेयरी के बंद नहीं होने से पहले बारां जिले के सहरिया परिवारों को राज्य सरकार की ओर से मुफ्त घी दिया जाता था। जो ट्राईबल एरिया डवलपमेंट प्रोजेक्ट (टीएडीपी) के तहत झालावाड़ डेयरी से करीब 30 एमटी सरस का घी बारां उपभोक्ता भंडार को दिया जाता था, जो वहां एडीएम की सहमति से संबंधित विभाग के माध्यम से आदिवासी सहरिया परिवारों को वितरित करवाया जाता था। इस घी से डेयरी को हर माह 10 लाख का फायदा होता था। लेकिन अब बंद होने से डेयरी को करीब एक करोड़ 20 लाख का नुकसान हर वर्ष हो रहा है।

बारां जाने वाला दूध भी बंद-

जब झालावाड़ डेयरी चल रही थी तब प्रतिदिन बांरा जिले में 4 हजार दूध भीलवाड़ा डेयरी से आ रहा है।ऐसे में झालावाड़ डेयरी को प्रतिदिन दो लाख रुपए का नुकसान हो रहा है। जबकि भीलवाड़ा डेयरी दूर पड़ती है, सरकार को ट्रांसपोर्ट पर भी अधिक खर्चा वहन करना पड़ रहा है। जानकारों का कहना है कि सरकार को फिर से ये दूध झालावाड़ सहकारी समिति से लेना चाहिए, ताकि दोनों को फायदा होगा।

एक वर्ष में करोड़ों का फायदा-

झालावाड़ डेयरी में जब ये चलती थी, तब छाछ, लस्सी, दही, श्रीखंड, पनीर, घी बनता था। लेकिन 14 मई 2022 से बंद होने के बाद सभी उत्पाद बनना बंद हो गए है। डेयरी का उच्च प्रबंधन केवल कागजी घोड़े दौड़ा रहे। दूध उत्पादन नहीं होने का निजी डेयरी संचालक पूरा फायदा उठा रहे हैं। जिन बूथों पर पहले सरस दूध आसानी से उपलब्ध होता था, अब निजी डेयरियों का दूध मिल रहा है।अगर समय से झालावाड़ डेयरी में दूध की पैकिंग हो तो हर वर्ष डेयरी को करीब 1 करोड़ 8 लाख का राजस्व प्राप्त होगा।

डेयरी बंद होने से निजी डेयरियों का कारोबार बढ़ा-

सहकारिता विभाग का श्लोगन है कि एक सबके लिए और सब एक के लिए, इसी अवधारणा से प्रदेश में सहकारी दूध डेयरियों का संचालन किया जाता है। लेकिन झालावाड़ सरस डेयरी में दूध का जब से उत्पादन बंद हुआ है, तब से निजी डेयरियों को बाजार में अपना कारोबार जमाने का मौका मिल गया है। ऐसे में उपभोक्ताओं को महंगा दूध लेना पड़़ा रहा है। वर्तमान में झालावाड़ डेयरी से दूध ठण्डा कर कोटा डेयरी में भेजा जाता है। वहां से दूध की पैंकिंगकर झालावाड़ और बारां जिले में सप्लाई की जाती है। इस कारण आपूर्ति सुचारू नहीं हो पा रही है। प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों का रूख अब निजी डेयरियों की ओर होने लगा है। इस कारण झालावाड़ डेयरी में दूध की आवक कम हो गई है। डेयरी प्रबंधन की कथित गलत नीतियों का फायदा निजी दूध डेयरी प्रबंधन उठा रहे हैं। जिले में मध्यप्रदेश तक की कई निजी डेयरियों से दूध आ रहा है। वहीं जिलेभर के करीब 350 गांवों से दूध एकत्रित कर चन्द्रावती ग्रोथ सेंटर में एक निजी कंपनी की डेयरी द्वारा दूध संग्रहित कर दिल्ली भेजा जा रहा है।जबकि अच्छे दाम पर किसी समय झालावाड़ डेयरी में आता था।

नई सरकार उठाए कदम तो फिर आ सकती है बहार-

डेयरी में पहले करीब 40 कर्मचारी काम करते थे, वो अब 15 ही रह गए है। शेष बेरोजगार हो गए है। वहीं यहां डेयरी के पास करीब 28 बीघा जमीन है, जिस पर पाउडर प्लांट व पशु आहारा आदि बनाने के प्लांट भी स्थापित किए जा सकते हैं,डेयरी के पास जमीन, पानी व रेलवे के निकट होने से सारी सुविधाओं से डेयरी परिपूर्ण। अब यहां सिर्फ इच्छा शक्ति की ही कमी नजर आ रही है, वो अगर डबल इंजन सरकार दिखाए तो, झालावाड़ सरस डेयरी के माध्यम से जिले के 6700 पशुपालक किसानों के चेहरे पर फिर से मुस्कराहट आ सकती है।

हमारी तरफ से अवगत करा दिया-

हमारी तरफ से प्लांट के बारे में सारी जानकारी उच्चाधिकारियों को भेज दी है। यहां 4 जनवरी को जनरल मैनेजर प्रोजेक्ट का निरीक्षण हो चुका है। जो भी कमियां है उनके बारे में अवगत करा दिया है। देवकीनन्दन स्वामी, सहायक मैनेजर, झालावाड़ डेयरी प्लांट।

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