भवानीमंडी. झालावाड़ जिले की पचपहाड़ तहसील क्षेत्र में इस वर्ष हुई कुल करीब 21.3 इंच बारिश से खेत-कुएं तो रीते हैं ही, पिपलाद बांध भी आधे से ज्यादा खाली रह गया है। करीब 34 फीट भराव क्षमता वाले बांध में अभी तक करीब चार फीट ही पानी की आवक होकर, वॉटर लेबल करीब 24 फीट पर स्थिर हो गया है।
इससे भवानीमंडी, सुनेल और अन्य 14 गांवों को पेयजल तो जैसे-तैसे मिल जाएगा, लेकिन इससे जुड़ी 4688 हैक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए तीन की बजाय एक बार ही पानी मिल सकेगा। वह भी मिटिंग मेें निर्णय के बाद। इस वर्ष पूरे सीजन में करीब 543 मिमी. बारिश हुई। इसमेें भी एक बार भी पिपलाद नदी मेें पूर्ण बहाव जितना पानी नहीं बरसा।
जल संसाधन विभाग पिपलाद बांध जेईएन राजेश गुर्जर ने बताया कि अल्प वर्षा से बांध में करीब 10.69 मिलियन क्यूबिक मीटर जमा हो सका है, जिसमें से 5 मिलियन क्यूबिक मीटर पेयजल के लिए आरक्षित रहेगा। सिंचाई के लिए 3 मिलियन क्यूबिक मीटर ही पानी दिया जा सकेगा।
बहरहाल, इससे उन किसानों की उम्मीदों को गहरा झटका लगा है, जो इस बांध के भरोसे भरपूर सिंचाई वाली गेहूं जैसी फसल बोने की उम्मीद बांधे हैं। बांध से पिछले सालों में तीन से चार बार में मिलाकर करीब 17 मिलियन क्यूबिक मीटर तक पानी सिंचाई के लिए छोड़ा जाता रहा है, लेकिन इस बार के हालात एक बार ही पानी देने की इजाजत दे रहे हैं।
भुला दी राजगढ़ से पेयजल की मांग
पिपलाद बांध में पूर्ण भराव क्षमता तक पानी भरने पर भी इसमें नजदीक से गंदा नाला मिलने से पानी अशुद्ध रहता है। इसके पेयजल से भवानीमंडी में चर्मरोग की समस्या आम है। जन प्रतिनिधि ऐसी ही बुरी स्थिति से बचाने के लिए भवानीमंडी को राजगढ़ बांध का पानी दिलाने की मांग को पूरी तरह भुला बैठे हैं। अगर नेता गंभीरता से अब भी प्रयास कर लें तो भवानीमंडी को न सिर्फ राजगढ़ का शुद्ध जल मिल सकेगा, बल्कि वहां पर भराव क्षमता अधिक होने से भरपूर पानी भी मिलता रहेगा।