
प्रशासन की नाक के नीचे खेल
सुनेल. क्षेत्र में लंबे अरसे से पंजीकृत आरा मशीनों पर नियमोंं को ताक में रखकर धड़ल्ले से हरे पेड़ों की लकडिय़ों की चिराई की जा रही है। लकड़ी लेकर पहुंच रहे लोगों से निकासी प्रमाण-पत्र और अनुमति दोनों ही नहीं मांगी जा रही है। इससे वन माफियाओं द्वारा जंगलों से काट कर लाई जा रही अवैध लकडिय़ों का चिराई आसानी से हो रही है। जब इस मामले में वन विभाग अधिकारियों से पत्रिका संवाददाता ने दोपहर में बात की तो शाम तक कार्रवाई कर दो जगह पर अवैध लकड़ी ने स्टॉक को सील कर दिया। जबकि यह खेल प्रशासन के सामने कई महीनों से चल रहा है।
क्षेत्रीय वन अधिकारी चंद्र प्रकाश शर्मा ने बताया कि पिड़ावा मार्ग पर स्थित खान भाई की आरा मशीन का लाइसेंस 2015 में खत्म हो गया था, इसके बाद अभी तक लाइसेंस को रिन्यू नहीं कराया, यहां से 15 दरवाजे की चिरान लकड़ी, 20 खिड़की की चिरान लकड़ी, 250 घन फीट चिरान फंटे, 100 क्विंटल लकड़ी के गट्टे के साथ दो रद्दा मशीन भी सील की। इसके पास ही स्थित सैफुद्दीन भाई की आरा मशीन से भी 200 घन फीट चिरान लकड़ी के गड्डे, 50 क्विंटल चिरी जलाऊ लकड़ी मिली। इसे भी टीम ने सील कर दिया। दोनों आरा मशीन मालिकों के पास लकड़ी खरीदने व बेचने व चिरान करने के लिए कोई लाइसेंस नहीं मिली।
जंगल की जगह मैदान नजर आ रहा
कस्बे के आसपास जहां जंगल थे, आज वहां मैदान बन गए हैं। क्षेत्र में सागवान, शीशम, गुलमोहर, आम आदि के पेड़ लगे थे। इन पेड़ों की लकड़ी से खिड़कियां व दरवाजे बन रहे हैं। इस कारण माफियाओं की नजर इनके पेड़ों पर रहती है। हालांकि विभाग ने लकड़ी चिराई के लिए तमाम नियम कायदे बनाते हुए आरा मशीनों के लाइसेंस जारी किए हैं। इसमें सुबह 9 से शाम 6 बजे तक या सूर्यास्त तक ही लकड़ी चिराई के निर्देश हैं, इसके अतिरिक्त लकड़ी लेकर पहुंचने वाले व्यक्ति से लकड़ी की निकासी व कटान अनुमति का पत्र भी मंागने का नियम है लेकिन संचालक मुनाफा कमाने की खातिर नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। आरा मशीनों का निरीक्षण भी समय पर नहीं किया जाता है। कस्बे की तमाम आरा मशीनों पर लकडिय़ों का भंडारण लगा है। जिसका आरा मशीन संचालकों के पास कोई ब्यौरा नहीं है तथा वन विभागीय अधिकारी मौन हैं।
कृषि उपजमंडी में खरीद नहीं, किसान बाजार में बेच रहे उपज
पिड़ावा. क्षेत्र की सबसे बड़ी कृषि उपजमंडी में खरीद प्रारंभ नहीं हुई है। इससे किसानों को फ सलें व्यापारियों को औने-पौने दामों पर बेचने को विवश होना पड़ रहा है। किसान अली मोहम्मद, रतनलाल, कन्हैयालाल दांगी, बजेसिंह ने बताया कि वर्तमान में धनिया, मसूर, चना, गेहूं अन्य फसलें तैयार हो चुकी हैं। यहां की मंडी को पिछली सरकार ने गौण मंडी से स्वतंत्र मंडी का दर्जा दिया था। इसके अंतर्गत सुनेल व रायपुर की गौण मंडी की है। काफ ी अरसा बीतने के बाद भी यहां की हालत खस्ता है। मण्डी में न तो कोई अधिकारी है, ना ही कर्मचारी। यहां कर्मचारी के रूप में मात्र एक चौकीदार ही है।
मंडी की चारदीवारी जगह जगह से क्षतिग्र्रस्त है। जगह जगह घास उगी है। सफ ाई के अभाव में हालत दयनीय है। वहीं कृषि उपज मंडी बंद होने से सरकार को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है।
चोपड़ा टीम झालावाड़ ने जीता वॉलीबॉल मैच
अकलेरा ञ्च पत्रिका. सरड़ा में सूर्या क्लब द्वारा आयोजित दो दिवसीय ओपन शूटिंग बॉलीबाल प्रतियोगिता का सोमवार रात समापन हुआ। सचिव राजेंद्र कुमार पटवा ने बताया कि प्रतियगिता में 18 टीमों ने भाग लिया। 2 सेमीफाइनल मैचों में मनोहरथाना ने सूर्या क्लब को 2.1 से और चोपड़ा क्लब झालावाड़ ने खेड़ी को 3.0 से हराया। फाइनल मैच झालावाड़ और मनोहरथाना के बीच हुआ। इसमें झालवाड़ टीम 3.0 से विजेता रही। विजेता चोपड़ा क्लब झालावाड़ को 11 हजार रुपए व उपविजेता मनोहरथाना को 5 हजार रुपए देकर पुरस्कृत किया। इस दौरान बारां शूटिंग बॉलीबाल संघ अध्यक्ष प्रधानाचार्य चंद्रप्रकाश सांखला, शारीरिक शिक्षक बलदेव गुर्जर, नंदकिशोर बैरागी, मुकेश शर्मा और निर्भय सिंह तंवर आदि मौजूद रहे।
पटवारियों का क्रमिक अनशन,लोग परेशान
झालावाड़ ञ्च पत्रिका. जिले के पटवार व कानूनगों संघ ने मिनी सचिवालय के सामने खानपुर थानाधिकारी को निलम्बित करने सहित कई मांगों को लेकर क्रमिक अनशन शुरू किया। मंगलवार को पूरणमल मीणा, मनोज कुमार यादव, संजय माली, जितेन्द्र बैरवा, गोपेश मानस आदि ने क्रमिक अनशन शुरू किया। संघ के मस्तराम ने बताया कि जब तक सरकार सुनवाई नहीं करती है अनशन जारी रहेगा। वहीं जिले में एक माह से अधिक समय से चल रही पटवारियों की हड़ताल से आमजन पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है।
पटवारियों की हड़ताल के चलते किसान, युवा व छात्र खासे परेशान हो रहे हैं। मंगलवार को हेमड़ा निवासी नवीन पाटीदार ने बताया कि जेट परीक्षा के आवेदन में जातिप्रमाण पत्र की आवश्यकता पढ़ रही है। सुनेल तहसीलदार जी के पास गए तो उन्होंने कहा कि ये मेरा काम नहीं है, पटवारीजी ही करेंगे ऐसे में पटवारी लंबे समय से हड़ताल कर रहे हैं। अब क्या करें। साल में पटवारी दो तीन बार हड़ताल करते हैं परेशान तो किसानों, छात्रों सहित नौकरी की तैयारी कर रहे लोगों को उठानी पड़ रही है।
Published on:
27 Feb 2019 03:29 pm
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