
रणजीतसिंह सोलंकी/झालावाड़. Rajasthan Assembly Election: झालावाड़ से डग तक मध्यप्रदेश की सीमा नापने के बाद दूसरे दिन मनोहरथाना और खानपुर विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर निकल गए। पिछले एक सप्ताह से बेमौसम बारिश से घुली ठंडक तीखी धूप के कारण तल्ख हो गई थी। दोनों विधानसभा क्षेत्र किसान बाहुल्य हैं। इस कारण खेती-किसानी के मुद्दे ही ज्वलंत हैं। किसान फसलों के खराबे का अब तक बीमा का क्लेम नहीं मिलने से गुस्से में हैं। किसान बिना लाग-लपेट राज्य सरकार को कोसते हैं। उलाहना देते हैं कि घोषणाएं खूब हो रही हैं, लेकिन लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है।
झालावाड़ से मैं एनएच 52 से तीनधार पहुंचा। यहां रेस्टोरेंट संचालक राजू गुर्जर से क्षेत्र के मुद्दों पर बात की। राजू बोला - भाईसाब सुबह 6 बजे रात 11 बजे तक दुकान बैठता हूं। बिल्कुल भी फुर्सत नहीं है। सरकार के कामकाज पर बात करते ही उसने कांग्रेस की गुटबाजी का जिक्र कर दिया। बोला कि विधायक तो साढ़े चार साल में एक बार भी गांव नहीं आए। अकतासा में चाय की चुस्कियां ले रहे किसान बद्रीलाल बोले, कांई मत पूछो... म्हाकी तो सारी फसलां ही खराब हो गई, बीमो अबार ताईं न मल्यो...। 15 बीघा में सोयाबीन बोई थी, अतिवृष्टि से पूरी खराब हो गई। रबी सरसों और गेहूं की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है, लेकिन बीमा क्लेम की फूटी कौड़ी भी नहीं मिली है। उसने भी उलाहना दिया कि विधायक एक बार भी गांव नहीं आए। अकलेरा के मंडी व्यापारी राजेन्द्र जैन मंडियों का ढांचा मजबूत करने की मांग की।
मनरेगा में नहीं मिल रहा काम
अकलेरा क्षेत्र के रिछवा के बिरधीलाल बताया कि उसके परिवार में मनरेगा में चार लोगों का जॉब कार्ड है, लेकिन एक को भी काम नहीं मिल रहा। कुकरवाडा के रामजीलाल ने कहा कि राशन कार्ड होने पर भी दो साल से गेहूं नहीं मिल रहा। जमनालाल ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में दवा और जांच निशुल्क हो रही है, यह योजना बढि़या है। लोगों ने सीधी बात कही कि विधायक का जनता से सम्पर्क नहीं है। चुनाव जीतने के बाद एक बार भी नहीं आए। दोनों विधानसभा क्षेत्र में विधायकों के क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहने की आम बात सामने आई है। मनोहरथाना क्षेत्र में राशन के गेहूं को ब्लैक करने, मनरेगा में फर्जीवाड़ा की शिकायतें ज्यादा आईं।
चुनावी रंगत नजर आई
झालावाड़ से असनावर पहुंचे तो मुख्य मार्ग पर भाजपा-कांग्रेस के जगह-जगह बैनर-पोस्टर नजर आए। चुनावी रंगत के बारे में बात की तो पता चला कि यहां जिला परिषद के एक वार्ड का उपचुनाव हो रहा है। इस कारण चुनावी माहौल है।
प्याज रुला रहा
इस क्षेत्र में प्याज का बम्पर उत्पादन होता है। उमरिया के किसान उदय गुर्जर, सुरेश डांगी जैसे किसानों की पीड़ा है कि प्याज के मौजूदा भावों में लागत भी नहीं निकल रही है। प्याज की बाजार हस्तक्षेप योजना में खरीद होनी चाहिए।
परवन परियोजना का काम कब पूरा होगा
तीन दशक से राजनीति चमकाने का जरिया बनी परवन वृहद सिंचाई परियोजना का काम अब भी पूरा नहीं हुआ है। इस परियोजना से झालावाड़, बारां और कोटा जिले के किसानों की करीब दो लाख हैक्टेयर भूमि सिंचित होगी। इस बांध पर देश की सबसे बड़ी वाटर टनल बन रही है। चुनाव में दोनों ही दल इस परियोजना को भुनाने से नहीं चुकते हैं।
Updated on:
08 May 2023 12:03 pm
Published on:
08 May 2023 08:03 am
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