6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

घूसखोरी से नफरत होने के कारण नहीं की राजस्थान पुलिस में नौकरी

रिटायर्ड फौजी युवराज सिंह राजावत की दिनचर्या का हर कोई मुरीद है। राजावत की उम्र लगभग 95 वर्ष पूर्ण हो चुके है, उसके बावजूद भी राजावत अपनी दैनिक दिनचर्या को बखूबी निभाते हुए पूरी कर रहे हैं। रिटायर्ड फौजी युवराज सिंह ने बताया कि उनका जन्म 3 अप्रेल 1928 को हुआ।

2 min read
Google source verification
Retired soldier Yuvraj singh

भीमसागर. कस्बे के समीपवर्ती गांव बन्या निवासी रिटायर्ड फौजी युवराज सिंह राजावत की दिनचर्या का हर कोई मुरीद है। राजावत की उम्र लगभग 95 वर्ष पूर्ण हो चुके है, उसके बावजूद भी राजावत अपनी दैनिक दिनचर्या को बखूबी निभाते हुए पूरी कर रहे हैं। रिटायर्ड फौजी युवराज सिंह ने बताया कि उनका जन्म 3 अप्रेल 1928 को हुआ। उन्होंने जीवन में काफी संघर्ष के बाद भारतीय थल सेना में 1948 में भर्ती हो कर देश की रक्षा को लेकर पाकिस्तान बॉर्डर के बीकानेर,जैसलमेर जैसे सीमावर्ती इलाकों में सेवाएं दी।

इस दौरान उनका खेलों के प्रति भी अच्छा लगाव होने से उन्होंने में सेना में रहते हुए हॉकी में कई राष्टीय स्तर की प्रतियोगिता में टीम के साथ प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। सेना से रिटायर्ड होने के बाद जब उन्हें सैनिक कोटे द्वारा राज्य सरकार में जॉब के लिए आवेदन किया। उनको शिक्षक के पद में नियुक्ति मिली।

यह भी पढ़ें : गोविंददेवजी से लेकर मोती डूंगरी गणेश मंदिर तक, दान पेटियां उगल रही दो-दो हजार के नोट

वह शिक्षक बनकर कर समाज को सुधारने के साथ क्षेत्र में शिक्षा का स्तर बढ़ाने की ओर अग्रसर हो गए। शिक्षा विभाग में वह 1954 में कार्यरत होकर करीब 32 वर्षों तक विद्यालयों में बच्चों को शिक्षा के साथ खेलो में आगे बढ़ाने का काम करते रहे। राजावत बताते हैं कि उनके जीवन में काफी कठिनाई आई। आज भी राजावत नियमित अपने सारे काम स्वयं कर नियमित अखबार पढ़कर देश-विदेश की घटनाओं पर बारीकी से जानकारी रखते हैं। गांव के बुजुर्ग समेत युवा पीढ़ी राजावत की दिनचर्या की मुरीद है।

भ्रष्टाचार से सख्त नफरत
युवराजसिंह ने बताया कि जब वह सेना से रिटायर्ड हुए तो उस वक्त उन्हें राजस्थान पुलिस में भर्ती होने का सुनहरा अवसर मिल रहा था। परंतु जब वह सेना से आए तो उनको पुलिस कार्यप्रणाली व घूसखोरी से नफरत होने के चलते उन्होंने पुलिस विभाग को ना चुनकर शिक्षक बनना सही समझा। शिक्षक बनकर उन्होंने क्षेत्र में कई विद्यालयों में शिक्षा का स्तर सुधारने का प्रयास किया।

यह भी पढ़ें : नेशनल हाइवे पर कार का टायर फटा, सड़क से नीचे जाकर पलटी


बड़ी खबरें

View All

झालावाड़

राजस्थान न्यूज़

ट्रेंडिंग