
झालावाड़। ग्राम सेवा सहकारी समितियों के कस्टम हायरिंग सेंटरों के लिए ट्रैक्टर खरीद में भारी अनियमितता का मामला सामने आया है। जिले की दस समितियों द्वारा पिछले साल मार्च व अप्रेल में खरीदे गए एक ही मॉडल के ट्रैक्टरों की कीमतों में 15 से लेकर 42 हजार रुपये तक का अंतर पाया गया है, जबकि सभी ट्रैक्टर एक ही कंपनी की एक ही मॉडल है। मजेदार बात यह है कि ये सभी ट्रैक्टर एक ही डीलर से खरीदे गए है।
जानकारों के अनुसार किसानों को किराए पर कृषि उपकरण उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने योजना बनाई थी। इसके तहत झालावाड़ केंद्रीय सहकारी बैंक ने 41 कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित किए। इनमें से दस समितियों के लिए वर्ष 2023-24 में ट्रैक्टर खरीदे गए, लेकिन इनकी खरीद की दरों में बड़ा अंतर उजागर हुआ है।
जानकारों के अनुसार अनुसार बाजार में अन्य कंपनियों के 46 एचपी ट्रैक्टर 7.70 लाख रुपए में उपलब्ध हैं, इसी पावर के एक कंपनी के ट्रैक्टरों की खरीद 8.28 लाख से 8.71 लाख रुपए तक में की गई। प्रत्येक ट्रैक्टर पर 80 हजार से 1 लाख रुपए तक की अतिरिक्त राशि अदा की गई, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है।
जब सभी ट्रैक्टर एक ही मॉडल और कंपनी के हैं। ये सभी एक ही समयावधि में खरीदे गए हैं तो कीमतों में इतना अंतर क्यों। कहीं न कहीं यह सहकारी बैंक और संबंधित समितियों के स्तर पर मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
राज्य सरकार की योजना थी कि किसानों को सस्ते किराए पर ट्रैक्टर, थ्रेशर, बीज ड्रिल, रोटोवेटर आदि उपकरण दिए जाएं ताकि वे खेती के आधुनिक साधनों का लाभ उठा सकें। लेकिन जब उपकरणों की खरीद में ही भ्रष्टाचार हो तो इसका लाभ जमीनी स्तर तक कैसे पहुंचेगाघ्
'' एक ही दिनांक और एक ही कंपनी का ट्रैक्टर सहकारी बैंक द्वारा खरीदा गया है। उसमें अगर अंतर आ रहा है तो गलत है। इसकी जांच करवाई जाएगी। यदि गड़बड़ी पाई गई तो वसूली की कार्रवाई होगी।
Updated on:
08 May 2025 09:27 am
Published on:
08 May 2025 09:26 am
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