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Chandkhedi Chandrodaya Teerth…500 साल प्राचीन चांदखेड़ी तीर्थ के गर्भगृह का बदलेगा स्वरूप

आस्था का केंद्र : एक साथ सौ श्रावक कर सकेंगे आराधना

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Chandkhedi Chandrodaya Teerth...500 साल प्राचीन चांदखेड़ी तीर्थ के गर्भगृह का बदलेगा स्वरूप

Chandkhedi Chandrodaya Teerth...500 साल प्राचीन चांदखेड़ी तीर्थ के गर्भगृह का बदलेगा स्वरूप

झालावाड़/खानपुर. देश के प्रमुख जैन धर्मस्थलों में शामिल आदिनाथ दिगम्बर जैन चन्द्रोदय तीर्थक्षेत्र चांदखेड़ी आस्था का प्रमुख केन्द्र है। यहां देशभर से बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग दर्शन के लिए आते हैं। पांच सौ साल पुराने मंदिर में आदिनाथ भगवान की विशेष मूर्ति आभा बिखेरती है। हाल में रूपली नदी की बाढ़ के कारण मंदिर का गर्भगृह भी लबालब हो गया था। श्रावकों ने गले तक पानी में खड़े रहकर शांतिधारा पाठ किया था। इसके बाद अब मंदिर के गर्भगृह का स्वरूप बदलने का काम शुरू हो गया है। आने वाले समय में एक साथ करीब सौ श्रावक भगवान आदिनाथ का पूजन कर सकेंगे। साथ ही श्रद्धालुओं के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त धर्मशाला का काम शुरू किया गया है। साउंड रूफ हॉल तैयार किया जा रहा है। मुनि पुंगव सुधा सागर महाराज 2002 में विहार करते हुए चांदखेड़ी पहुंचे थे और चतुर्मास किया। संतश्री को एक रात दर्शाव हुआ कि मंदिर में एक गर्भगृह है। वहां तीन मूर्तियां रखी है। उनको निकाल कर स्थापित किया जाए तो मंदिर और क्षेत्र में विकास की नई राह खुलेंगी। महाराज के मार्गदर्शन में मंदिर कमेटी ने तहखाने की खुदाई करवाई। खुदाई में कमरानुमा मंदिर निकला। वहां जो आदिनाथ भगवान की मूर्ति निकली, उसे मंदिर को गर्भगृह में ही विराजित किया गया है। गर्भगृह में खुदाई के दौरान फूटी जलधारा आज भी अविरल बह रही है। भगवान आदिनाथ के गर्भगृह की दीवारों पर नागर शैली की कलाकृति होगी। धौलपुर के लाल पत्थर पर मंदिर का इतिहास उकेरा जाएगा। साथ ही संत सुधा सागर की 2002 के यहां के विहार के दौरान का दृश्य का चित्रण भी किया जाएगा। मंदिर परिसर में दो मंजिला आधुनिक गौशाला बनाने का काम शुरू हो गया है। हाल में रूपली नदी में आई बाढ़ के कारण यहां गौशाला में भी पानी भर गया था। बाढ़ के पानी से गायों को बचाने के लिए मंदिर में दूसरी मंजिल भी रखा था। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष हुकम जैन काका का कहना है कि श्रावक की संख्या बढऩे से गर्भगृह स्थित शांतिधारा स्थल छोटा पडऩे लगा है। इसका विस्तार किया जा रहा है। आठ फ ीट लम्बी और छह फ ीट चौड़ी पत्थर की चट्टानों से गर्भगृह की दीवारें बनाई जा रही है। गर्भगृह का निर्माण ऐसा होगा कि भविष्य में बाढ़ की स्थिति में भी पानी नहीं घुस पाए। गर्भगृह का निर्माण करीब नौ करोड़ की लागत से किया जाएगा।
मंदिर इतिहास
मंदिर समिति के रिकॉर्ड के अनुसार मंदिर करीब 500 साल पुराना है। कोटा रियासत के राजा किशोर सिंह थे। राजा के कोटा जिले के कनवास के किशनदास मडिया दीवान थे। उन्हें शेरगढ़ की बाड़ी में भगवान आदिनाथ की चमत्कारिक मूर्ति गड़ी होने का स्वप्न आया। मडिया शेरगढ़ से मूर्ति को बैलगाड़ी में रखकर कोटा जिले के सांगोद के लिए रवाना हो गए। चलते-चलते खानपुर की रूपली नदी के पास सूर्यास्त हो गया। चांदखेड़ी में बैलगाड़ी के पहिये जाम हो गए। लाख कोशिशों के बाद भी जब बैलगाड़ी आगे नहीं बढ़ पाई तो चांदखेड़ी में ही मूर्ति को विराजित कर दिया। मडिया के अनुरोध पर कोटा स्टेट के राजा दीवान सिंह ने चांदखेड़ी मंदिर का विकास कराया।