न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. रामसेवक योगी ने बताया कि मरीज मानसिंह गत 19 सितंबर को सड़क हादसे में घायल हो गया था। उसे गंभीर हालत में कोटा मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया था, जहां से एसएमएस जयपुर रैफ र कर दिया गया। वहां उसका बायां पैर काटना पड़ा। हादसे के बाद से उसका बायां हाथ भी काम नहीं कर रहा था। जांच करने पर पता चला कि उसके ब्रेकियलप्लेक्सस की नसें खराब हो गई। जिसका इलाज संभव नहीं हैो मरीज की जयपुर से छुट्टी कर दी गई। इसके बाद मरीज के परिजन उसे झालावाड़ में न्यूरो सर्जरी विभाग में दिखाने आए। यहां जांच के बाद विभागाध्यक्ष डॉ. रामसेवक योगी ने ब्रेकियलप्लेक्सस की नसें का ऑपरेशन करने का निर्णय लिया तो परिजनों ने भी सहमति दे दी।
नसों को आपस में जोड़ा.
ऑपरेशन के लिए निश्चेतना विभाग के डॉ राजन नंदा से बात की गई। नया नर्वस्टीमुनेटर और आवश्यक ऑपरेशन के सामान मंगवाए गए। ये बहुत ही जटिल ऑपरेशन था। इसमें स्पाइनल असेसरी नर्व को सुप्रास्केपुलटनर्व के साथ जोड़ा जाता है, जिससे कंधे की मांसपेशियां काम करने लगती है तथा छाती की नसों को मस्कुलोक्यूटीनियसनर्व से जोड़ा जाता है। इस ऑपरेशन के बाद अब मरीज अपना काम स्वयं कर पाएगा।
क्या होता है ब्रेकियल प्लेक्सस-
ये गदर्न में नसों का एक नेटवर्क है, जो रीढ़ की हड्डी से कंधे, हाथ तक संकेतों को ले जाने वाली नसें होती है। गदर्न तथा कंधे पर आघात लगने से ब्रेकियलप्लेक्सस की चोट हो सकती है, जिससे हाथ में कमजोरी या लकवाग्रस्त हो सकता है। कई बार इस तरह का नार्मल डिलेवरी के दौरान भी होती है, जिसमें बच्चे का एक हाथ काम नहीं करता है। अगर छह माह में इसका इलाज नहीं करवाया जाता है तो हमेशा के लिए बच्चे का एक हाथ काम करना बंद कर देता है। मरीज के ऑपरेशन करने वाली टीम में न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ.राम सेवक योगी, विभागाध्यक्ष निश्चेतना डॉ.राजन नंदा,डॉ.संजीव गुप्ता,डॉ. सुधीर शर्मा, स्टाफ कीर्ति मित्तल, कन्हैया लोहार, रोहित कश्यप आदि का योगदान रहा।