झालावाड़. जिले में प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग बड़बेली इन दिनों आबाद हो रहा है। प्रवासी पक्षियों के कलरव सुबह से गूंज रहे हैं। यहां सर्दी में कई तरह के प्रवासी पक्षी अपना डेरा डाल लेते हैं, जो मार्च तक रहेंगे। ऐसे में अब सर्दियां खत्म होने तक यहां पक्षियों की चहचहाट बनी रहेगी। गौरतलब है कि झालावाड़ जिले में कई वेटलैण्ड हैं, जहां प्रवासी पक्षी आते हैं। इनमें सर्वाधिक पक्षी बड़बेली में आते हैं। वन विभाग की ओर से यहां सुरक्षाकर्मी भी तैनात किए गए हैं, जो इन पक्षियों की सुरक्षा करेंगे।
इस बार हुई देरी
पक्षी प्रेमी मनोज कुमार ने बताया कि वैसे तो प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला अक्टूबर माह से शुरू हो जाता है। इस बार बारिश देरी तक चलने व सर्दी का असर देरी से होने के कारण प्रवासी पक्षी भी देरी से ही आने लगे हैं। इस बार यह जनवरी की शुरुआत में आए हैं। ऐसे में अब सर्दी रहने तक यह यहां रहेंगे। यहां बड़बेला, बड़बेली, मूरियाखेड़ी, नौलाव, लक्ष्मीपुरा, खण्डिया गावड़ी तालाब में आते हैं।
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ग्रे-लेग गूज: यह प्रवासी पक्षी 3 से 5 हजार किलोमीटर की यूरोप से यात्रा करते हुए शीतकाल में भारत आता है। गूज प्रवासी बत्तखों में सबसे बड़े आकार के होते हैं। इनका वजन 2 से 4 किलो एवं लंबाई 70 से 90 सेंटीमीटर तक होती है। यह शाकाहारी पक्षी है, जो वेटलैंड पर लगे जलीय पौधों के लगभग सभी हिस्सों को अपने भोजन के रूप में ग्रहण करता है। झुंड में रहने के बावजूद यह अपने जोड़े के साथ ही रहता है। झालावाड़ में इस समय बहुत कम संख्या में आए हैं।
बार हेडेड गूज: इसकी गर्दन व सिर पर रंग सफेद व शरीर के बाकी हिस्सों का रंग दूधिया सलेटी, चोंच व पंजों का रंग सांवला पीला होता है। सिर पर काले रंग की दो धारियां दिखती है, जो बार (छड़ ) की तरह होती है। इसी कारण इसका नाम बार हेडेड गूज पड़ा। यह भी शाकाहारी होते हैं।
सर्दियों में यह तिब्बत, कजाकिस्तान ,मंगोलिया ,रूस आदि जगहों से एक लंबा सफर तय करके हिमालय की ऊंची चोटियों पार कर भारत में आते हैं। यह दुनिया की सबसे अधिक ऊंचाई पर उडऩे वाले पक्षी भी हैं। यह लगभग 27 से 29 हजार फुट तक की ऊंचाई पर उडकऱ भारत पहुंचते हैं। पिछले वर्ष इनकी संख्या लगभग 400 से अधिक थी, लेकिन इस बार बहुत कम है।
फ्लेमिंगो: झालरापाटन के निकट मुडलिया खेड़ी तालाब में तीन दर्जन से अधिक फ्लेमिंगो तालाब की शोभा बढ़ा रहे हैं। यह सर्दी के दिनों में माइग्रेट करके गुजरात के कच्छ से राजस्थान आते हैं। इनके पंख गुलाबी-सफेद व चोंच गुलाबी व उसकी नोक काली होती है। पैर पूरी तरह से गुलाबी होती है। फ्लेमिंगो बड़े आकार के पक्षी होते हैं। जिनकी औसत लम्बाई 110-150 सेमी और वजन 2-4 किलोग्राम होता है। इस वर्ष इनके साथ बच्चे भी नजर आ रहे हैं।
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इनके अलावा लिटिल ग्रेब, विसलिंग टिल, कॉम्बडक, नार्दन पिनटेल, यूरेशियन कूट, कॉमन पोचार्ड, व्हाइट आई पोचार्ड, कॉमन टिल, रेडीशेल डक, स्पू्नबिल, आइबिस, पेंटेड स्टॉर्क एवं कई प्रकार के जलीय पक्षी देखने को मिल रहे हैं।