
शिक्षा के क्षेत्र में हो सकते हैं ये बड़े बदलाव
झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.जेवी वैशम्पायन ने कहा कि शिक्षा के प्रति अभिभावकों, शिक्षकों एवं स्टूडेंट्स का दृष्टिकोण केवल परीक्षाओं में बेहतर अंक लाना भर रह गया है। अंक आधारित शिक्षा प्रणाली धन कमाने का साधन तो बन सकती है पर मानव विकास की प्रक्रिया में वह असफल साबित हो रही है। स्टूडेंट्स आज केवल परीक्षा में आने वाले संभावित प्रश्नों की ही तैयारी करते हैं, न कि विषय के मर्म को समझने की। अब समय आ गया है कि इस पर व्यापक विचार विमर्श हो। वह यहां विश्वविद्यालय परिसर में शैक्षणिक कौशल और व्यावसायिक विकास विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।
कुलपति ने इऩ मुद्दों पर जताई चिंता
प्रो. वैशम्पायन ने कहा कि आजकल छात्रों की संख्या कक्षाओं में कम होती जा रही है। उन्हें पता है कि हम कक्षाओं में नियमित न जाकर भी 55-60 प्रतिशत अंक ला सकते हैं। इस समस्या के समाधान के लिये हमें पढ़ाने के नये तरीके विकसित करने की आवश्यकता है। साथ ही प्रश्नपत्रों के निर्माण एवं उनके मूल्यांकन के तरीके में बदलाव का समय है। कई संस्थानों में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को अपनाया गया है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण छात्रों में सीखने की चाह एवं प्रेरणा को विकसित करना है। नकल रोकने से अधिक आवश्यक है कि हम पठन पाठन एवं मूल्यांकन की ऐसी प्रक्रिया अपनायें जहां इसकी जरूरत ही न पड़े। शिक्षा में परीक्षा प्रणाली एवं प्रशासन में भी सुधार की आवश्यकता है।
ये लोग रहे उपस्थित
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय की वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रो अमिता बाजपेयी रहीं। डा.शैलजा गुप्ता, डा एस एस कुशवाहा, डा विनोद सिंह भदौरिया, देवेश निगम, डा. पुनीत बिसारिया, डा. काव्या दुबे, डा. सुनील कुमार त्रिवेदी, महेन्द्र कुमार, डा सुषमा अग्रवाल, भुवनेश्वर सिंह, दीप्ति कुमारी, प्रतिभा खरे, शिखा खरे, डा नवीन चंद्र पटेल, डाॅ. कौशल त्रिपाठी,, सतीश साहनी, डा अमित तिवारी आदि मौजूद रहे।
Published on:
02 Sept 2019 10:01 am
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