Jhansi News : झांसी के गौरव यादव का UPSC में सिलेक्शन हो गया है। गौरव को 503 वीं रैंक मिली है। वे IPS बनेंगे, जबकि उनके पिता पुलिस विभाग में दरोगा के पद पर तैनात हैं। अब पापा भी ड्यूटी के दौरान अपने बेटे को प्रोटोकॉल देंगे।
Jhansi News : झांसी के गौरव यादव का UPSC में सिलेक्शन हो गया है। उन्होंने अपने परिवार के साथ-साथ झांसी का भी मान बढ़ा दिया है। गौरव यादव ने यूपीएससी-2022 में ऑल इंडिया 503 रैंक से सफलता पाई। घर-परिवार में पुलिस के अनुशासन व मेहनत की विरासत लिए गौरव यादव आईपीएस बनकर अब राष्ट्र की सेवा करेंगे। वह पुलिस के बड़े व छोटे अफसरों के बीच कम हो रहे संवाद को बढ़ाने, पुलिसिंग में रिफॉर्म तथा स्मार्ट पुलिसिंग के लिए कार्य करना चाहता है तो कानून-व्यवस्था तथा अभियोजन के कार्य में लगे पुलिस बल को पेशेवर रूप से आगे बढ़ाना चाहता है। उसने साक्षात्कार बोर्ड को ऐसे ही कई सुझाव भी दिए हैं।
कोरोना काल में कोचिंग हो गई थी बंद
कोरोना काल में दिल्ली में रहकर सिविल सेवा की तैयारी करने वाले गौरव यादव को दूसरे प्रयास में सफलता मिली। झांसी से इंटरमीडिएट करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स से बीए ऑनर्स कर रहे गौरव ने ग्रेजुएशन करने के बाद सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का मन बनाया। उसने एक वर्ष कोचिंग की और उसी समय कोरोना ने दस्तक दे दी। कुछ दिन झांसी में रहने के बाद वापस दिल्ली पहुंचे गौरव ने ऑनलाइन कोचिंग शुरू की। पहले प्रयास में की गयी गलतियों को सुधार कर इस बार उसने सफलता का परचम फहरा दिया। उनके पिता श्याम सुंदर झांसी में विभिन्न थानों में तैनात रहकर अपनी मेहनत से सिपाही से दरोगा के पद पर पहुंचे। आज उनके बेटे ने अपनी मेहनत व परिवार के प्रोत्साहन से देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता पाई है। गौरव यादव ने बताया कि पिछले वर्षों के ट्रेण्ड व रैंक को देखते हुए आईपीएस मिलने की संभावना है।
बीच में तैयारी छोड़ना चाहते थे गौरव
सिविल सेवा की एक वर्ष की कठिन तैयारी के बाद जब परीक्षा देने का समय आया, तो देश को कोरोना संक्रमण काल ने घेर लिया। कोरोना काल से किसी तरह पार पाकर | झांसी से दिल्ली वापस पहुँचे गौरव ने इस बार ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की। कोरोना काल में शुरू हुए सोशल साइट का प्रभाव भी उस पर पड़ा। पर, वह पहले प्रयास में कुछ अंकों से चूक गया। दिल्ली विश्वविद्यालय में इकनॉमिक्स बीए ऑनर्स करने के दौरान उसके साथी एमबीए कर प्राइवेट कम्पनि में जॉब करने लगे। गौरव भी कुछ बैकअप प्लैन की सोचने लगा, लेकिन पिता श्याम सुन्दर के साथ माँ मीरा यादव व बड़े भाई सौरभ यादव ने प्रोत्साहन दिया और अपना लक्ष्य पूरा करने को कहा। इसके बाद गौरव फिर दिल्ली जाकर अपनी गलतियों को सुधार कर सिविल सेवा में दोगुने उत्साह से जुट गया।