
World Mental Health Day 2018: जागरूकता सप्ताह में होंगे ये आयोजन, ये है थीम
झांसी। विश्व में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य के सहयोगात्मक प्रयासों को संगठित करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष भारत सरकार द्वारा विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की थीम “विश्व के बदलते परिदृश्य में वयस्क और मानसिक स्वास्थ्य” रखी गयी है। इस दिवस के अवसर पर जन जागरूकता हेतु एक वृहद स्वास्थ्य शिविर, रैली, संगोष्ठी, नगरीय स्वास्थ्य शिविर इत्यादि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसके तहत आठ अक्टूबर को मंद बुद्धि शिविर एवं क्लीनिक, नौ अक्टूबर को गोष्ठी एवं क्लीनिक का आयोजन, दस अक्टूबर को सुबह आठ बजे रैली, ग्यारह अक्टूबर को गोष्ठी एवं क्लीनिक का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा दुआ से दवा तक शिविर का आयोजन व मंद बुद्धि विकलांग शिविर का आयोजन किया जाएगा।
भारत ने पहले कर दी थी शुरूआत
विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ (वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ) ने विश्व के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल को वास्तविक रूप देने के लिए वर्ष 1992 में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की स्थापना की थी। हालांकि भारत ने मानसिक रोगियों की देखभाल को सुनिशिचित करने के लिए 10 वर्ष पूर्व ही पहल शुरू कर दी थी तथा मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता और पहुंचनीयता सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 1982 में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी) की शुरूआत की गयी थी। इसका उद्देश्य सभी को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराना, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के बारे में जागरूकता लाना और मानसिक स्वास्थ्य सेवा के विकास में समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा देना है।
यहां होते हैं कई बदलाव
किशोरावस्था और वयस्कता के शुरूआती वर्ष जीवन का वह समय होता है, जब कई बदलाव होते हैं, उदाहरण के लिए स्कूल बदलना, घर छोड़ना तथा कॉलेज, विश्वविद्यालय या नई नौकरी शुरू करना। कई लोगों के लिए यह रोमांचक समय होता है तथा कुछ मामलों में यह तनाव और शंका का समय हो सकता है। कई लाभों के साथ ऑनलाइन प्रौद्योगिकी का बढ़ता उपयोग इस आयु वर्ग के लोगों के लिए अतिरिक्त दबाव भी लाया है, हालांकि यदि इसे पहचाना और प्रतिबंधित नहीं किया जाता है, तो यह तनाव मानसिक रोग उत्पन्न कर सकता है।
एक साल पहले लाया गया अधिनियम
इसी के चलते 10 अक्टूबर वर्ष 2014 को राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति की घोषणा की गयी तथा भारत में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम 2017 लाया गया। मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम, 2017 महामहिम राष्ट्रपति महोदय की स्वीकृति से लागू किया गया है तथा सर्वोच्च न्यायालय मानसिक स्वास्थ्य के प्रति अत्यंत गंभीर है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली के द्वारा मानसिक रोगियों तथा मानसिक स्वास्थ्य से संबन्धित प्रकरणों की निगरानी की जा रही है।
ये है अधिनियम में व्यवस्था
उक्त अभिनियम के आधार पर मानसिक रोगियों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कराये जाने हेतु निम्न कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए हैं।
1- गंभीर मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख सेवाओं जैसे बाहरी रोगी (ओपीडी) और आंतरिक रोगी (आईपीडी) की व्यवस्था करना। जिससे रोगी की स्वास्थ्य देख-रेख के सभी स्तरों जैसे प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं जिला अस्पतालों पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें, जिससे मानसिक रोगियों को लंबी दूरी का सामना न करना पड़े।
2- प्रत्येक जिले में मुख्य चिकित्साधिकारी व जिला चिकित्साधीक्षक का उत्तरदायित्व होगा कि मानसिक रोगियों के समुचित उपचार सुनिशिचित कराएं एवं काउन्सलिंग की सेवाएं जैसे जिला काउन्सलिंग केंद्र / मन कक्ष की स्थापना करें।
3- मानसिक रोगियों के भर्ती की सेवा जिला चिकित्सालय में उपलब्ध हो।
4- प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों व जिला चिकित्सालय स्तर पर मानसिक रोग विधा की औषधियां उपलब्ध हों।
5- लोक स्वास्थ्य स्थापना में अतिआवश्यक वस्तु / सामग्री / मशीनों जैसे साईक्लोजिकल टूल्स, बायो फीड बैक मशीन आदि की उपलब्धता करना।
6- जन जागरूकता हेतु समुचित आईईसी कार्यक्रमों का समय-समय पर संचालन करना।
Published on:
07 Oct 2018 11:06 pm
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