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जूते सिलने वाला दुनिया से लड़ बेटियों को बना रहा डॉक्टर

इरादे नेक और हौसले बुलंद हों तो गरीबी भी कुछ नहीं बिगाड़ सकती। उदयपुरवाटी के पौख गांव के जूते सिलने वाले प्रकाश रसगनियां दम्पती ने अपनी दोनों बेटियों को डॉक्टर बना कर मिसाल कायम की है।

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जूते सिलने वाला दुनिया से लड़ बेटियों को बना रहा डॉक्टर

जूते सिलने वाला दुनिया से लड़ बेटियों को बना रहा डॉक्टर

अरुण शर्मा.

पचलंगी (झुंझनू)
जरा हिम्मत से पत्थर तो उछालो यारों.... जी हां! इरादे नेक और हौसले बुलंद हों तो गरीबी भी कुछ नहीं बिगाड़ सकती। उदयपुरवाटी के पौख गांव के जूते सिलने वाले प्रकाश रसगनियां दम्पती ने अपनी दोनों बेटियों को डॉक्टर बना कर मिसाल कायम की है। उनकी एक बेटी अंजेश एमबीबीएस में अंतिम वर्ष व दूसरी बेटी पूजा होम्योपैथिक चिकित्सा में द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही है। दोनों बेटियों का सपना है कि कोई गरीब बिना इलाज या बिना पैसों के जान न गवाएं। दोनों गरीबों का नि:शुल्क इलाज और बेसहारा बच्चों को पढ़ा भी रही हैं। वे चाहती हैं कि गरीब बच्चे डॉक्टर बन लोगों की सेवा करें।

प्रकाश ने बताया कि वे गांव में जूते सिलते हैं और उनकी पत्नी छोटी देवी मनरेगा मजदूर है। दोनों बेटियां शुरू से ही पढ़ाई में तेज और होनहार थीं। हमेशा स्कॉलरशिप और प्रतिभा सम्मान मिला। गरीबी ने बार-बार इरादे तोड़े...मगर जिद ने सपने पूरे किए। एक तो गरीबी दूसरे समाज में बेटियों को ना पढ़ाने वाली सोच के लोगों से उन्हें बहुत लडऩा पड़ा। एक ही सपना था कि बेटियां पढ़-लिखकर गरीबों की सेवा करें। दोनों ने कसम खाई कि कुछ भी हो जाए बेटियों का बड़ा अफसर बनाएंगे। आज दोनों का सपना पूरा हो गया है।


विज्ञान की पढ़ाई के लिए बाहर जाना पड़ा

पूजा और अंजेश ने बताया कि दसवीं तक गांव के सरकारी विद्यालय में शिक्षा ली। गांव में विज्ञान विषय नहीं होने के कारण उन्हें बाहर निजी विद्यालय में 12वीं तक पढ़ाई करनी पड़ी। दोनों ने 2017 में 12वीं की पढ़ाई पूरी की। अगले साल 2018 में छोटी बहन अंजेश का एमबीबीएस में चयन हुआ। अंजेश झालावाड़ राजकीय मेडिकल कॉलेज में अंतिम वर्ष में अध्ययनरत है। बड़ी बहन पूजा का 2020 में होम्योपैथिक चिकित्सक के लिए शहीद हरिप्रसाद मल राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल बड़हलगंज गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) में चयन हुआ। उसका इस साल द्वितीय वर्ष है।

पिता के काम में अब भी बेटियां बंटाती हैं हाथ


पिता प्रकाशचन्द रसगनियां ने बताया कि जूती सिलाई व बनाई का उनका पैतृक काम है। उसके इस काम में उसकी पत्नी छोटी देवी, बेटी पूजा व अंजेश भी हाथ बंटाती हैं। अब भी दोनों बेटियां छुट्टियों में घर आती हैं तो उसके साथ बैठकर जूती बनाने के काम में मदद करती हैं।

गरीबों की सेवा करना ही लक्ष्य

पूजा व अंजेश ने कहा कि उन्होंने गरीबी नजदीक से देखी। छात्रवृत्ति ,प्रतिभा सम्मान से ही आगे की पढ़ाई सुचारू रखी। इसलिए चिकित्सक बनकर गरीब की सेवा करना ही उनका मुख्य लक्ष्य रहेगा।