जानें क्या है एटीसी और इसका क्या है काम
राजस्थान में कृषि की दृष्टि से अनेक कृषि जलवायु खंड हैं। आबूसर के एडप्टिव ट्रायल सेंटर (एटीसी) के अधीन चूरू, सीकर, झुंझुनूं व नागौर जिले आते हैं। कोई भी किस्म की बुवाई करने से पहले उसे सरकार एटीसी में प्रायोगिक तौर पर उगाकर देखती है। वहां पर प्रयोग सफल होने पर ही किसानों को संबंधित बीज उगाने की सलाह देती है।
राजस्थान में यहां की पहाड़ियां भी चमकती हैं तांबे की तरह
उत्पादन 20 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
कृषि अनुसंधान अधिकारी शीशराम ढीकवाल ने बताया कि इस सरसों का उत्पादन बीस से पच्चीस क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो जाता है। यह पाळा रोधी किस्म है। इसके साथ ही इसकी दूसरी विशेषता यह है कि यह खारे पानी में भी उगाई जा सकती है। यह किस्म 7680 टीडीएस तक के पानी में भी उगाई जा सकती है। यह बारह विद्युत चालकता (ईसी) वाले पानी में भी उग जाती है। पौधों की लम्बाई अच्छी होती है। फलियों की संख्या अन्य किस्मों से ज्यादा होती है। हर फली में बीजों की संख्या ज्यादा होती है। जहां पाळा पडऩे की आशंका रहती है और पानी खारा है वहां के लिए यह किस्म सर्वश्रेष्ठ है।
एटीसी में पहली बार सरसों की सीएस 60 किस्म उगाई है। इस बार खूब पाला पड़ा, लेकिन इस किस्म की फसल पर कोई नुकसान नहीं हुआ। यह पाळा रोधी किस्म है। इसका प्रयोग सफल रहा है। राजस्थान में जहां पाळा ज्यादा पडऩे की आशंका रहती है तथा पानी खारा है वहां के लिए यह श्रेष्ठ किस्म है।
उत्तम सिंह सिलायच, उप निदेशक, एटीसी आबूसर