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झुंझुनू

शहीद खेतड़ी के लाल शमशाद खान हुए सुपुर्द-ए-खाक, तो 14 साल का बेटा बोला- मैं दूंगा दुश्मन को जवाब

सूलपुर के ताल गांव में गुरुवार के दिन हर तरफ भारत माता के साथ गांव के लाडले शमशाद के जयकारे गूंज रहे थे…

झुंझुनूJan 18, 2018 / 10:11 pm

पुनीत कुमार

Shamshad Khan martyr
झुंझुनूं/खेतड़ी। जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में तैनात रसूलपूर ग्राम पंचायत के ताल गांव के शहीद शमशाद को गुरुवार को पूर्ण सम्मान के साथ सुपुर्द ए खाक किया गया। इस दौरान शहीद शमशाद के 14 वर्षीय बड़े बेटे मो. सूफीयान ने अपने पिता को नम आंखों से मिट्टी देते हुए कहा कि मैं भी मेरे पापा की तरह फौज में जाकर देश की सेवा करूंगा और अपनी मातृ भूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी भी लगानी पड़े तो पीछे नहीं हटूंगा। दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दूंगा। तो वहीं मासूम बालक के मुंह से बाहादुरी और देशभक्ति की ये बातें सुनकर वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गई।
शहीद शमशाद को जयपुर से आई सेना की टुकड़ी 16 गढ़वाल यूनिट के कैप्टन रणदीप सिंह के नेतृत्व में एवं पुलिस की टुकड़ी ने राइफलें झुका कर और बिगुल बजाकर गार्ड ऑफ ऑनर दिया। बता दें कि जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में गश्त के बाद बर्फ में दबने से शमशाद की जान चली गई थी। वहीं उनके इंतकाल में आज पूरा गांव जुटा हुआ था, जहां सम्मानजनक अंतिम विदाई उन्हें दी गई। गुरुवार सुबह जब खेतड़ी से शहीद की पार्थिव देह पैतृक गांव ताल पहुंची तो घर में कोहराम मच गया। माता आमना बानो और वीरांगना नेक बानो का रो-रो कर बुरा हाल था। परिवार के बड़े सदस्य उनको सांत्वना दे रहे थे, लेकिन अकेले में वे भी अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे।
Shamshad Khan martyr
परदादा भी थे सेना में-

शहीद शमशाद के पड़दादा बहादुर खान खेतड़ी के तत्तकालीन राजा अजीत सिंह की सेना में ओहदेदार थे और शहीद के दादा कामदार खान इंडियन केवलरी 61 में घुड़सवार फौज में शामिल थे। तो वहीं उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्व में भी भाग लिया था। जबकि शहीद के पिता अब्दुल हमीद खान राजस्थान पुलिस में थे और दो बड़े भाई फौज से सेवानिवृत हैं। इतना ही एक छोटा भाई फिलहाल जयपुर में राजस्थान पुलिस में कार्यरत हैं। शमशाद के रिस्तेदार एडवोकेट मुस्ताक खान ने बताया कि इस गांव के हर नए वर्ग के युवा फौज में जाने के लिए हमेशा से तैयार रहते हैं।
गूंजते रहे जयकारे…बरसते रहे फूल-

रसूलपुर के ताल गांव में गुरुवार के दिन हर तरफ भारत माता के साथ गांव के लाडले शमशाद के जयकारे गूंज रहे थे। कोई उसकी बहादुरी की बातें बता रहा था तो कोई उनके पार्थिव शरीर (ताबुत) को कंधा दे रहा है। सैकड़ों विद्यार्थियों ने एक कतार में खड़े होकर जब शहीद की अंतिम यात्रा में फूल बरसाए तो हर किसी की आखें नम हो गई। जिसके बाद ताल गांव में शहीद सीएचएम शमशाद खान की देह को सुपुर्द ए खाक किया गया।
Shamshad Khan martyr
बेटे को सौंपा तिरंगा-

इस दौरान सेना के अधिकारी कैप्टन रणदीप सिंह ने राष्ट्रीय ध्वज शहीद के पुत्र समर्पित किया। शहीद शमशाद खान की पार्थिव देह पर सेनाध्यक्ष की ओर से कैप्टन नरेन्द्र सिंह ने, जिला कलक्टर की ओर से एडीएम मुन्नीलाल बगड़िया ने, पुलिस अधीक्षक मनीष कुमार अग्रवाल, कैप्टन लियाकत अली,विधायक पूरणमल सैनी, पूर्व ऊर्जा एवं जलदाय मंत्री डा.जितेन्द्रसिंह, पूर्व विधायक दाताराम गुर्जर, अब्दुल गफ्फार सहित सैकड़ों लोगों ने पुष्प चक्र अर्पित किए।
197वां कायमखानी शहीद-

वाइस ऑफ एक्स सर्विस मैन लीग के प्रदेश अध्यक्ष कैप्टन लियाकत अली खान ने बताया कि अबतक कायमखानी कौम के 197 शहीद हो चुके हैं। इनमे शमशाद खान 197 वें नंबर पर शहीद हुए हैं। कौम को इन शहीदो की शहादत पर नाज है। बता दें कि शहीद शमशाद के चार बच्चे हैं। इनमें बड़ा बेटा सूफियान खान, बेटी खूशबु खान(12), साजिया खान(10) और सोएब खान (6) है।
Shamshad Khan martyr

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