scriptकभी अपने पति का चेहरा नहीं देखा, फिर भी सारी उम्र उनके नाम कर गई 103 वर्षीय वीरांगना सायरा बानो | memory remains of 103 year old veerangana saira bano jhunjhunu | Patrika News

कभी अपने पति का चेहरा नहीं देखा, फिर भी सारी उम्र उनके नाम कर गई 103 वर्षीय वीरांगना सायरा बानो

locationझुंझुनूPublished: Nov 14, 2019 02:51:43 pm

Submitted by:

Naveen

Memory Remains : देश की सबसे उम्रदराज वीरांगना सायरा बानो ( 103 Year Old Veerangana Saira Bano Passed Away ) के इंतकाल के साथ ही त्याग और समर्पण का एक अध्याय भी समाप्त हो गया। वे एक ऐसी वीरांगना थी, जो निकाह के बाद अपने शौहर की शक्ल तक नहीं देख पाई। फिर भी पूरी जिंदगी उनके नाम कर गई।

कभी अपने पति का चेहरा नहीं देखा, फिर भी सारी उम्र उनके नाम कर गई 103 वर्षीय वीरांगना सायरा बानो

कभी अपने पति का चेहरा नहीं देखा, फिर भी सारी उम्र उनके नाम कर गई 103 वर्षीय वीरांगना सायरा बानो

झुंझुनूं।

Memory Remains : देश की सबसे उम्रदराज वीरांगना सायरा बानो ( 103 year old veerangana Saira Bano passed away ) के इंतकाल के साथ ही त्याग और समर्पण का एक अध्याय भी समाप्त हो गया। वे एक ऐसी वीरांगना थी, जो निकाह के बाद अपने शौहर की शक्ल तक नहीं देख पाई। फिर भी पूरी जिंदगी उनके नाम कर गई। सैनिकों की खान कहे जाना वाले गांव धनूरी की 103 साल की इस वीरांगना सायरा बानो का पिछले गुरुवार को इंतकाल हो गया था।

वह देश की सबसे उम्रदराज शहीद वीरांगना थी। इस उम्र में भी वह एकदम स्वस्थ थी। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने परिजनों को जरूरतमंदों के लिए एक लाख की रुपए दिए थे।

अपने पति का चेहरा नहीं देखा, फिर भी सारी उम्र उनकी शहादत को समर्पित गई 103 वर्षीय वीरांगना सारया बानो

शुक्रवार को सम्मान के साथ उन्हें सुपुर्दे खाक किया गया। जिला सैनिक कल्याण अधिकारी परवेज अहमद, अलसीसर एसडीएम डॉ. अमित यादव प्रशासन की ओर से उन्हें खिराजे अकीदत पेश करने पहुंचे।

निकाह के दिन युद्ध में गए, 6 साल बाद मिली शहीद होने की खबर
वर्ष 1939 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सायरा बानो का निकाह ताज मोहम्मद खां के साथ हुआ था। निकाह के दिन बारात धनूरी गांव पहुंची थी।

अपने पति का चेहरा नहीं देखा, फिर भी सारी उम्र उनकी शहादत को समर्पित गई 103 वर्षीय वीरांगना सारया बानो

तत्काल सेना के बुलावे पर वह ड्यूटी पर चले गए। जिसके बाद वह फिर कभी लौटकर नहीं आए। निकाह के बाद सायरा बानो अपने खाविंद को देख भी नहीं पाई। 6 साल बाद उन्हें पता चला कि वे शहीद हो गए। इसके बाद भी सायरा ने पीहर जाना कबूल नहीं किया। उन्होंने अपनी जिंदगी अपने शौहर के नाम पर बिता दी।

गांव को कहते हैं सैनिकों की खान
वीरांगना सायरा बानो दुनिया का छोड़ गई लेकिन, सबके दिलों में अपनी यादें दे गई। धनूरी गांव को सैनिकों की खान कहते हैं।

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