31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Video आईआईटी व मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के दौरान खिलाडि़यों को मिले कोटा: सबरवाल

अनेक नौकरियों में सरकारी कोटा भी निर्धारित है, लेकिन अब सरकार को देश के उच्च शिक्षण संस्थानों जैसे आईआईटी, एनआईटी, एम्स, मेडिकल कॉलेज व आईआईएम की प्रवेश प्रक्रिया में नेशनल लेवल के खिलाडि़यों को आरक्षण देना चाहिए। यूपीएससी व एसएससी की हर भर्ती में खिलाडि़यों को कोटा मिलना चाहिए।

2 min read
Google source verification
Video आईआईटी व मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के दौरान खिलाडि़यों को मिले कोटा: सबरवाल

एथेंस व लंदन ओलम्पिक तथा राष्ट्रमंडल खेलों में अम्पायर रह चुके बैडमिंटन खिलाड़ी अपेन्द्र सबरवाल


पत्रिका साक्षात्कार

एथेंस व लंदन ओलम्पिक तथा राष्ट्रमंडल खेलों में अम्पायर रह चुके बैडमिंटन खिलाड़ी अपेन्द्र सबरवाल शनिवार को झुंझुनूं आए। यहां उन्होंने सीबीएसई की नेशनल बैडमिंटन चैम्पियनशिप के उद्घाटन समारोह में भाग लिया। इस दौरान पत्रिका से बातचीत में उन्होंने कहा कि खिलाडि़यों को अनेक राज्यों में सरकारी नौकरी मिल रही है। अनेक नौकरियों में सरकारी कोटा भी निर्धारित है, लेकिन अब सरकार को देश के उच्च शिक्षण संस्थानों जैसे आईआईटी, एनआईटी, एम्स, मेडिकल कॉलेज व आईआईएम की प्रवेश प्रक्रिया में नेशनल लेवल के खिलाडि़यों को आरक्षण देना चाहिए। यूपीएससी व एसएससी की हर भर्ती में खिलाडि़यों को कोटा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब भारत के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा पदक जीत रहे हैं।
सवाल: सवा अरब से ज्यादा की जनसंख्या, फिर भी भारत ओलम्पिक में चीन, अमरीका, जापान से कम पदक जीत रहा है, क्या कारण है?
जवाब: पहले खिलाडि़यों को श्रेष्ठ कोच, मैदान, उपकरण व डाइट नहीं मिलती थी, अब देशों में खेलों का तेजी से विकास हो रहा है। आप खुद तुलना कर लो पहले से ज्यादा भारत के खिलाड़ी जीत रहे हैं।

सवाल: पदक जीतने के बाद तो करोड़ों रुपए बरस जाते हैं, जिला व राज्य स्तर पर क्यों नहीं मिलते?

जवाब: केन्द्र सरकार की खेलो इंडिया योजना आने के बाद पदक जीतने पर खेल के अनुसार लाखों रुपए तुरंत मिल रहे हैं। अब तो खिलाड़ी खेलों को कॅरियर के रूप में भी अपनाने लगे हैं।
सवाल: खेलों की निजी एकेडमियां बहुत महंगी, आम खिलाड़ी कहां खेलें?
जवाब: टेनिस, बैडमिंटन, क्रिकेट की एकेडमियां काफी महंगी है, लेकिन अब साई की सरकारी एकेडमियां पहले से ज्यादा खुल रही है। वहां सब कुछ निशुल्क है।

सवाल: खेल संघों में उच्च पदों पर खिलाडि़यों की जगह नेता व उनके पुत्र बैठे हुए हैं, खेल कैसे आगे बढ़ेंगे?

जवाब: अगले वर्ष स्पोर्ट्स कोड 2011 लागू हो जाएगा। उसके बाद खेल संघों में 25 फीसदी खिलाडि़यों को लेना अनिवार्य होगा। खिलाड़ी खेल अच्छा सकता है, लेकिन प्रबंधन के लिए अधिकारी चाहिए। फंड भी चाहिए। सभी जरूरी हैं।
सवाल: अनेक खेलों के फर्जी एसोसिएशन भी चल रहे हैं,खिलाड़ी कैसे पहचाने कौन फर्जी है और कौन सही?
जवाब: एक दम सही बात है। इसके लिए ओलम्पिक संघ जल्द ही अपनी वेबसाइट पर इसकी अधिकृत जानकारी देगा। सरकार को भी इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। एक खेल का एक ही संगठन होना चाहिए।

सवाल: आप झुंझुनूं में आए हैं, खेलों के बारे में बताएं।?
जवाब: मैं बैडमिंटन से पहले बास्केटबॉल खेलता था, झुंझुनूं के बहुत से खिलाड़ी मेरे साथ खेलते थे। बैडमिंटन की झुंझुनूं इस एकेडमी में लाइट व ऊंचाई विश्व स्तर की है। शेखावाटी के खिलाडि़यों की फिटनेस बहुत अच्छी है।