21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राजस्थान का अनूठा पुस्तकालय जहां नेत्रहीन भी पढ सकेंगे रामायण व महाभारत

राजस्थान के झुंझुनूं शहर में अनूठा पुस्तकालय है। यहां नेत्रहीन भी रामायण व महाभारत पढ़ सकते हैं। इसके अलावा पुस्तकालय में एक मशीन ऐसे भी भी है, जिसके नीचे पुस्तक रखने पर वह उसका अनुवाद बोलकर सुनाती है।

2 min read
Google source verification
राजस्थान का अनूठा पुस्तकालय जहां नेत्रहीन भी पढ सकेंगे रामायण व महाभारत

रामायण की जानकारी देते पुस्तकालयाध्यक्ष।


जिले के नेत्रहीन व्यक्ति अब महाभारत व रामायण पढ सकेंगे। जिला मुख्यालय पर गांधी चौक के निकट स्थित राजकीय जिला पुस्तकालय में ब्रेल लिपि में लगभग चार सौ पुस्तकें आ गई है। इनमे रामायण, महाभारत, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, कहानियां सहित अनेक प्रकार की पुस्तकें हैं। इस पुस्तकालय में पहले सामान्य व्यक्तियों के लिए ही पुस्तकें थी।अब राजा राम मोहन राय पुस्कालय संगठन कोलकाता के सहयोग से ब्रेल लिपि में नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए भी पुस्तकें आई है। यहां कोई भी ब्रेल लिपि का जानकार व्यक्ति आकर इन पुस्तकों को पढ़ सकता है।जिला पुस्तकायल की विशेष पुस्तकें ब्रेल लिपि में है।


कार्यवाहक पुस्तकालयाध्यक्ष द्वारिका प्रसाद सैनी ने बताया कि नेत्रहीनों के पढ़ने और लिखने का एक ऐसा कोड है जो स्पर्श के माध्यम से समझा जा सकता है । इस लिपि में एक विशेष प्रकार के कागज का इस्तेमाल होता है, जिस पर उभरे हुए अक्षरों को छू -कर पढ़ा जा सकता है। किसी टाइपराइटर की तरह ही ब्रेल लिपि को भी ‘ब्रेलराइटर’ मशीन के माध्यम से लिखा जा सकता है। इसमें 6 बिंदुओं के उपयोग से कुल 64 अक्षर और चिह्न होते हैं ।


जानें क्यों मनाते हैं ब्रेल लिपि दिवस

ब्रेल दिवस फ्रांस निवासी लुई ब्रेल नाम के व्यक्ति के जन्मदिन के अवसर पर चार जनवरी को मनाया जाता है। वे ‘ब्रेल लिपि’ के आविष्कारक थे । बचपन में हुई दुर्घटना में एक बार उनकी आंख क्षतिग्रस्त हो गई थी और 8 वर्ष की उम्र से उन्हें दिखाई देना बंद हो गया था । आर्थिक तंगी के कारण उनका समुचित इलाज नहीं हो सका। उनके सम्मान में ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 6 नवंबर 2018 को ये प्रस्ताव पारित किया कि लुई ब्रेल के जन्मदिन के अवसर पर प्रति वर्ष 4 जनवरी को ‘विश्व ब्रेल दिवस’ मनाया जाए। लुई ने जब यह लिपि बनाई तब वे केवल 15 वर्ष के थे।


बोलती भी है मशीन

इसके अलावा पुस्तकालय में एक मशीन ऐसे भी भी है, जिसके नीचे पुस्तक रखने पर वह उसका अनुवाद बोलकर सुनाती है। इसके लिए विशेष स्कैनर मशीन को कम्प्यूटर व स्पीकर से जोड़ रखा है।


बड़ी खबरें

View All

झुंझुनू

राजस्थान न्यूज़

ट्रेंडिंग