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कभी खाकर देखें यह थेपड़ा घेवर

बिसाऊ कस्बा इन दिनों थेपडा घेवर की मीठी खुशबू से महक रहा है। हर तरफ मिठाई की दुकान पर कारीगर थेपडा़ घेवर बनाते नजर आएंगे। यह मिठाई सर्दियों में केवल एक महीने तक ही बनती है। मलमास शुरू होने के बाद मकर संक्रांति तक यह मिठाई तैयार की जाती है।

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कभी खाकर देखें यह थेपड़ा घेवर

कभी खाकर देखें यह थेपड़ा घेवर

बिसाऊ. कस्बा इन दिनों थेपडा घेवर की मीठी खुशबू से महक रहा है। हर तरफ मिठाई की दुकान पर कारीगर थेपडा़ घेवर बनाते नजर आएंगे। यह मिठाई सर्दियों में केवल एक महीने तक ही बनती है। मलमास शुरू होने के बाद मकर संक्रांति तक यह मिठाई तैयार की जाती है।

ऐसा स्वाद कहीं नहीं

थेपड़ा घेवर बिसाऊ व आस-पास के इलाकों में ही बनाई जाती है। दुकानदार चंद्रकांत राव ने बताया कि अब शेखावाटी के कई इलाको में थेपड़ा घेवर कारीगर बनाने लगे हैं। मगर बिसाऊ कस्बे की थेपड़ा घेवर जैसा स्वाद कहीं नहीं मिलता। थेपड़ा घेवर को रिश्तेदारों में भी बांटा जाता है।

प्रवासियों ने दिलाई पहचान

इलाके के कई लोग देश-विदेश में रहते हैं। ऐसे में सर्दियों के दौरान छुट्टियां बिताने आने वाले लोग थेपड़ा घेवर को दक्षिण भारत, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, यूपी, एमपी, दिल्ली व हरियाणा लेकर जाते हैं। इसके अलावा खाडी़ देश में रहने वाले प्रवासी भी यहां से इसे लेकर जाते हैं। यही वजह है कि थेपड़ा घेवर की धमक देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक है।

-प्रमोद आर्य प्रवासी, बिसाऊ

मकर संक्रांति पर घेवर भेजने की परंपरा

मकर संक्रांति पर बहन बेटियों के ससुराल घेवर भेजने की परंपरा है। घर परिवार की महिलाएं थालियों में घेवर को सजाकर अपनी बहन बेटियों के घर भेजते हैं। इसमें ससुर को जगाना, जेठ को भेंट ,सास को सीढ़ियों से उतारना व नाराज को मनाना, नणदोई का झोला भरना, देवर को घेवर देने जैसी रस्मे कि जाती है।

विमला देवी ग्रहणी, बिसाऊ


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