
supreme court of india
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) से वित्त पोषित उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण कोटा के निर्धारण के लिए संबंधित विभाग को एक इकाई माना जायेगा, न कि विश्वविद्यालय को। न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की अपील खारिज कर दी।
उच्च न्यायालय ने 2017 में एक फैसले में कहा था कि यूजीसी से वित्त पोषित उच्च संस्थानों में शिक्षकों की भर्ती में कोटा के निर्धारण के दौरान संबंधित विभाग को एक इकाई माना जायेगा, न कि पूरे विश्वविद्यालय को। इस फैसले को केंद्र सरकार ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के माध्यम से शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले को 'तार्किक' करार दिया और समान योग्यता और वेतनमान आदि के आधार पर विश्वविद्यालयों के सभी पदों को एकसाथ करने को अनुचित बताया।
खंडपीठ ने सवाल किया, ''एनाटोमी (शरीर-रचना विज्ञान) के प्रोफेसर और भूगोल के प्रोफेसर को एक कैसे माना जा सकता है। क्या आप 'अंगों' और 'सेबों' को आपस में जोड़ कैसे सकते हैं। न्यायालय ने कहा कि अलग-अलग विभागों के प्रोफेसरों की अदला-बदली नहीं हो सकती, इसलिए आरक्षित पदों के निर्धारण के लिए विश्वविद्यालय को एक इकाई नहीं माना जा सकता। उच्चतम न्यायालय में इस मामले के अब तक लंबित रहने के कारण केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 6,000 पदों पर भर्तियां लंबित हैं।
Published on:
23 Jan 2019 02:36 pm
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