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इस बावड़ी का 400 साल पुराना इतिहास, जानिये कब, कैसे और कितनी लागत में बनी थी…

हुआ था बावड़ी का अंतिम बार जीर्णोद्धार, शहर के प्रमुख पेयजल का स्रोत रही है बावड़ी

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इस बावड़ी का 400 साल पुराना इतिहास, जानिये कब, कैसे और कितनी लागत में बनी थी...

इस बावड़ी का 400 साल पुराना इतिहास, जानिये कब, कैसे और कितनी लागत में बनी थी...

जोधपुर. 403 वर्ष पुरानी तापी बावड़ी Tapi baori अब Amrit sarovar के रूप में विकसित होगी। विश्वराज समूह लखानी परिवार के समाजसेवी अरुण लखानी की ओर से इसका पुनरुद्धार करवाया जा रहा है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री Gajendra singh Shekhawat के प्रयासों से इसके कार्यों की शुरुआत हुई। भाजपा जिलाध्यक्ष देवेंद्र जोशी व राज्यसभा सांसद राजेन्द्र गहलोत के सानिध्य में नथावतों का चौक स्थित तापी बावड़ी का पुनरुद्धार कार्यक्रम शुरू हुआ।

केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके, उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने अमृतकाल में यह संकल्प किया कि हम देश के प्राचीन जलस्रोतों का पुनरुद्धार और नए जलस्रोतों का निर्माण करेंगे। निगम दक्षिण की महापौर वनिता सेठ, उत्तर के नेता प्रतिपक्ष लक्ष्मीनारायण सोलंकी, पार्षद मधुमती बोड़ा, सुरेश जोशी, मण्डल अध्यक्ष महेंद्र छंगाणी, संदीप काबरा, रूपायन संस्थान के कुलदीप कोठारी, वास्तुकार अनु मृदुल ने शुभारंभ किया।
तापी बावड़ी का इतिहास
बावड़ी का निर्माण 2 नवंबर 1618 को जोधपुर रियासत के दीवान वीर गिरधरजी व्यास के छोटे भाई नाथोजी व्यास ने अपने पिता तापोजी की स्मृति में कराया था। जब बावड़ी का निर्माण हुआ, तब यह छह खंड (करीब 250 फीट) लंबी और छह खंड गहरी थी। इसकी बाहर से चौड़ाई 40 फीट है। इतिहासकार मुहता नैणसी के अनुसार यह साठ पुरुष गहरी (करीब 360 फीट) है। तापी बावड़ी के निर्माण में चार वर्ष का समय और 71 हजार एक रुपया खर्च आया था। जब तापी बावड़ी का निर्माण हुआ था, तब इसे देखने के लिए लोगों में बड़ा उत्साह था। पहला जीर्णोद्धार वर्ष 1925-1926 में हुआ था। बावड़ी के पड़ोसी हरनाथ पुरोहित, मगनराज व्यास व समाजसेवी रामप्रताप बोड़ा उस सफाई और जीर्णोद्धार कार्यक्रम से जुड़े प्रमुख लोगों में थे।