
लुप्त होती फसलों को बचाएगा जोधपुर
जोधपुर।
बाजरी, जीरा, मूंग, मोठ, तिल व स्थानीय स्तर की फसलों की लुप्त होती किस्मों को अब कृषि विश्वविद्यालय संरक्षित करेगा। जी हां, मण्ड़ोर स्थित कृषि विश्वविद्यालय को स्थानीय फसलों के संरक्षण व शोध कार्य के लिए इंटरनेशनल प्रोजेक्ट मिला है। रोम स्थित इंटरनेशनल बायोडायवर्सिटी बोर्ड व ग्लोबल एनवॉयरमेंट फैसिलिटी (जेफ) की ओर से विवि को यह प्रोजेक्ट मिला है। विवि को अन्तरराष्ट्रीय स्तर का यह पहला प्रोजेक्ट मिला है। साथ ही, प्रदेश में संचालित हो रहे 5 कृषि विवि में अन्तरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट हासिल करने वाला यह प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है।
राजस्थान के तीन जिले शामिल
प्रोजेक्ट में राजस्थान के तीन जिलों जोधपुर, बाड़मेर व जैसलमेर को शामिल किया गया है। विवि जोधपुर जिले के ओसिया के गोविन्दपुरा व मानसागर तथा बाड़मेर के चौहटन के धीरासर व धोख गांव में कार्य करेगा। इसके अलावा, जोधपुर काजरी को भी प्रोजेक्ट मिला है, जो जैसलमेर जिले में कार्य करेगी।
डेढ़ करोड़ का फण्ड
पांच वर्षीय प्रोजेक्ट के लिए विवि को करीब डेढ़ करोड़ का फण्ड मिलेगा । विवि चयनित जिलों में बाजरी, जीरा, मूंग, मोठ, तिल, अश्वगंधा, मैथी, मेहंदी व अन्य स्थानीय स्तर की फसलों के संरक्षण को लेकर कार्य होगा। साथ ही, किसानों को लुप्त हो रही फसलों के संरक्षण के साथ उनकी नई वैरायटी पैदा करने, उच्च तकनीकी इस्तेमाल करने की जानकारी दी जाएगी, ताकि उत्पादकता, उत्पादन व किसान का सामाजिक स्तर बढ़े। इसके अलावा, बीज भण्ड़ारण के लिए सामुदायिक उन्नत बीज बैंक की व्यवस्था की जाएगी। इस प्रोजेक्ट में प्रदेश के करीब 1600 किसानों को लाभान्वित करने की योजना है।
इनका कहना है
जुलाई में इंटरनेशनल बायोडायवर्सिटी बोर्ड व जेफ की मीटिंग में प्रोजेक्ट की घोषणा हुई थी। फण्ड मिलने के बाद अब कार्य शुरू हो गया है। कृषि से जुड़े अन्तरराष्ट्रीय विशेषज्ञ समय-समय पर वर्कशॉप्स आयोजित कर विवि के वैज्ञानिकों को तकनीकी हस्तांतरण करेंगे । यह जानकारी विवि के वैज्ञानिक किसानों को देंगे।
डॉ. बलराज सिंह, कुलपति कृषि विवि
Published on:
14 Jun 2018 02:30 pm
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