गायों के ऑपरेशन के लिए गोशाला में सुविधाओं से सुसज्जित ऑपरेशन थियेटर भी बनाया गया है। जिसमें पूर्व प्रक्रिया व निश्चेतना के बाद गायों के गायों के ऑपरेशन किए जा रहे हैं। बीकानेर वेटरनरी विश्वविद्यालय में सर्जरी व रेडियोलॉजी विभाग के चिकित्सक डॉ. सुरेश कुमार झीरवाल, डॉ. टीके गहलोत व उनके साथ चार सदस्यीय टीम ने 26 सितम्बर से 30 सितम्बर तक जोधपुर के मंडोर स्थित श्री पन्नालाल गोशाला में कैम्प लगाकर गायों के ऑपरेशन किए। डॉ. झीरवाल ने बताया कि गोशाला में करीब 600 गाएं है, जिनमें दृष्टि का दोष है। उसमें से ऑपरेशन योग्य 110 गाएं हंै, जिनका ऑपरेशन करने से गायों को दिखाई देने लगेगा।
डॉ. झीरवाल के अनुसार बीकानेर में उनकी टीम श्वानों व बिल्लियों की आंखों के मोतिबयाबिंद के ऑपरेशन करती रही है। लेकिन गायों की आंखों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन प्रदेश में पहली बार कैम्प लगाकर जोधपुर में ही किए हैं। गोशाला में सेवाधारी डॉ. मांगीलाल रंगा ने बताया कि गायों के ऑपरेशन के लिए बीकानेर के वेटरनरी चिकित्सा टीम ने पूर्व में यहां पहुंच कर ओटी निर्माण की आवश्यकता बताई थी, जिसको कुछ समय पहले ही 11 लाख की लागत से तैयार कर लिया था। अब नई ओटी में ही सभी तरह ऑपरेशन किए जा रहे हैं।
भविष्य में फैको पद्धति काम लेंगे-
वर्तमान में फैको पद्धति से इंसानों के ऑपरेशन किए जा रहेे हैं। आगामी दिनों में पशु चिकित्सा विज्ञान में भी फैको पद्धति काम में ली जाएगी। डॉ. झीरवाल के अनुसार गोशाला में भविष्य मेंं अत्याधुनिक उपकरण लगाने के बाद फैको पद्धति से गायों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन किए जाएंगे।
गोशाला : एक नजर-
ट्रस्टी संजयकुमार कच्छावाहा के अनुसार जोधपुर के मंडोर क्षेत्र में करीब 143 साल से चल रही श्री पन्नालाल गोशाला में वर्तमान में करीब 4 हजार गायों की सेवा की जा रही है। अपंग व दृष्टि दोष वाले गोवंश को अलग-अलग रखा जा रहा है। गोशाला में 350 गाएं बीमार है। गोशाला में गायों की सेवा के लिए प्रतिदिन सवा दो लाख का खर्च हो रहा है। गोशाला में दुर्घटना में घायल व बीमार गायों के इलाज के लिए अस्पताल भी संचालित हो रहा है।