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उपभोक्ता फोरम की सर्किट बेंच अब दूसरे व तीसरे सप्ताह सुनवाई करेगी

-लंबे अरसे बाद जोधपुर में उपभोक्ता मामलों के निस्तारण में गति आएगी  

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उपभोक्ता फोरम की सर्किट बेंच अब दूसरे व तीसरे सप्ताह सुनवाई करेगी

उपभोक्ता फोरम की सर्किट बेंच अब दूसरे व तीसरे सप्ताह सुनवाई करेगी

जोधपुर। राजस्थान राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की सर्किट बेंच अब जोधपुर में हर महीने के दूसरे और तीसरे सप्ताह में न्यायिक कार्य संपादित करेगी। राज्य सरकार के निर्णय की पालना में आयोग ने करीब साढ़े चार साल बाद गुरुवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए, जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।

सर्किट बेंच की सुनवाई अवधि में बढ़ोतरी की कवायद पिछले लंबे अरसे से की जा रही थी। इस संबंध में राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने एक जनहित याचिका दायर की थी। एसोसिएशन अध्यक्ष रणजीत जोशी एवं अधिवक्ता अनिल भंडारी ने कोर्ट को बताया था कि सर्किट बेंच में सैकड़ों की संख्या में प्रकरण लंबित हो गए हंै। उन्होंने बताया कि 1 जून, 2005 से प्रारंभ साप्ताहिक सर्किट बेंच अधिकतम तीन दिन ही कार्यरत रहती थी, जिसे पाक्षिक किए जाने की मांग की गई थी। राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 12 फरवरी, 2015 को एसोसिएशन के प्रत्यावेदन पर व्यक्तिगत सुनवाई कर राज्य सरकार को उचित निर्णय लेने के निर्देश दिए थे। राज्य सरकार ने 24 जून, 2015 को सैद्धांतिक सहमति दे दी कि जोधपुर में सर्किट बेंच की अवधि पाक्षिक होगी। बाद में 17 मार्च, 2016 को उपभोक्ता मामलात विभाग के उप शासन सचिव ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी और एक कार्यालय आदेश जारी कर सर्किट बेंच के लिए एक न्यायिक व एक गैर न्यायिक सदस्य के पद सृजन का आदेश भी पारित कर दिया, लेकिन इसकी पालना नहीं हो पाई। इस बीच जोधपुर सर्किट बेंच में कार्यरत एक सदस्य ने ही आदेश पारित करने शुरू कर दिए, जिससे व्यथित होकर रुकमा कंवर व अन्य याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की। उपभोक्ता अधिनियम के तहत एकल सदस्य आदेश पारित नहीं कर सकता है। हाईकोर्ट ने याचिकाओं को मंजूर करते हुए 25 अक्टूबर 2018 को कहा कि राज्य आयोग की सर्किट बेंच में एकल सदस्य आदेश पारित नहीं कर सकता। उन्होंने राज्य सरकार को तत्काल ही जिला मंच व राज्य आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्तियां करने के निर्देश दिए। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 प्रभाव में आने के बाद अब राज्य आयोग में एक करोड़ रुपए से अधिक व दस करोड़ रुपए तक की कीमत के परिवाद दायर हो रहे हैं।