
सेना से सूचनाएं चुरा रहे हमराज व अरमान के क्लोन एप
जोधपुर. भारतीय सेना (इंडियन आर्मी) के जवानों और अधिकारियों से सेना से संबंधित जानकारी चुराने के लिए साइबर अटैकर्स ने अरमान और हमराज के एंड्रोइड क्लोप एप तैयार किए हैं जो हूबहू ऑरिजनल एप की तरह ही है। दोनों एप जवानों के मोबाइल में फोटो, वीडियो, कॉल रीकॉर्डिंग, मैसेजिंग यहां तक की वाट्सएप की फोटो भी चुरा रहे हैं। इससे सेना की संवेदनशील जानकारियां दुश्मनों के हाथ लगने का अंदेशा है। बेंगलुरू स्थित साइबर सिक्योरिटी फर्म क्लाउड एसईके ने इसे पकड़ा है। फर्म ने इस संबंध में देश की साइबर इमरजेंसी रेस्पोंस टीम (सर्ट) को सूचित कर दिया है।
आर्मी की ओर से अपने जवानों के लिए दो मोबाइल एप बनाए गए हैं जो एंड्रोइड प्लेटफॉर्म पर कार्य करते हैं। जवान इन्हें प्ले स्टोर से डाउनलोड करते हैं और अपने आधार नम्बर व पैन कार्ड के जरिए संचालित करते हैं। अरमान एप का उपयोग जवानों को विशेष ड्यूटी असाइन करने, आर्मी हैडक्वार्टर की ओर से सामान्य दिशा निर्देश देने और सेना के जवानों की ओर से अपने उच्चारियों से अपनी शिकायत करने के लिए किया जाता है। वहीं हमराज एप का उपयोग वित्तीय संबंधी मामलों में होता है। जवानों को अपने वेतन-भत्ते संबंधी सूचना हमराज से हाथों हाथ मिल जाती है।
बेंगलुरू फर्म के अनुसार नकली एप और ऑरिजनल एप में कोई खास अंतर नहीं है। दोनों एक ही तरह के सोर्स कोड उयोग कर रहे हैं। नकली एप में मालवेयर सोर्स कोड डाले हुए हैं जो एसएमएस, कॉन्टेक्ट्स, कॉल लॉग, लॉकेशन, माइक रिकॉर्डिंग, डॉक्यूमेंट्स, डिवाइस की इमेज और डिवाइस कैमरा को एक्सेस करके मोबाइल में मौजूद सारी सूचना चुरा लेता है।
एपीके फॉरमेट है उपलब्ध
अरमान और हमराज का क्लोन एप एपीके फॉरमेट में उपलब्ध है। यह प्ले स्टोर में नहीं है। अगर जवान प्ले स्टोर के अलावा सीधे गूगल या अन्य स्त्रोत से डाउनलोड करने की कोशिश करता है तब क्लोन एप के मोबाइल में डाउनलोड का खतरा है।
अफसरों के मोबाइल में होती है गुप्त जानकारियां
आर्मी के सामान्य अफसर और आर्मी इंटेलीजेंस के अफसरों के मोबाइल में कई संवेदनशील सूचनाएं रहती है। वे एनक्रीप्टेड एप वाट्सएप के जरिए फोटो, वीडियो व सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं। मोबाइल में क्लोन एप होने से उनकी समस्त जानकारी चुराई जा सकती है।
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‘आर्मी के जवानों को केवल गूगल प्ले स्टोर से ही अपनी हमराज व अरमान डाउनलोड करनी चाहिए। अन्य स्त्रोत से नकली एप डाउनलोड होने का अंदेशा है। इससे सेना से जुड़ी जानकारियां दुश्मनों तक पहुंच सकती है।’-प्रिया सांखला, साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट, जोधपुर
Published on:
11 Feb 2022 06:01 pm
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