
राजमाता कृष्णाकुमारी के निधन से शोक की लहर, वसुंधरा व गहलोत अंतिम संस्कार में शरीक होंगे
जोधपुर.
मारवाड़ ही नहीं, पूरे राजस्थान, देश भर के राजघरानों और आम जनता के लिए यह दुख और सदमे की बात है कि पूर्व सांसद और मारवाड़ राजघराने की पूर्व राजमाता कृष्णाकुमारी का सोमवार रात करीब 1.30 बजे निधन हो गया। वे 93 वर्ष की थीं। उन्हें अचानक तबीयत बिगडऩे के बाद उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके निधन से शोक की लहर फैल गई।
वे पिछले कई दिनों से अस्वस्थ थीं। पूर्व सांसद को पक्षाघात के बाद उन्हें गोयल अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम उनकी देखरेख में जुटी रही। वीवीआईपी कॉटेज रूम को ही आईसीयू बनाया गया, जहां रात करीब 1.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी पार्थिव देह को दोपहर 1.30 बजे उमेद भवन पैलेस परिसर में आम जनता के दर्शन के लिए रखी जाएगी। दोपहर बाद जसवंत थड़ा परिसर में उनका दाह संस्कार किया जाएगा। इसमें मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शिरकत करेंगे।
बेहतर साथ निभाया
पूर्व राजमाता जोधपुर के महाराजा स्व. हनवंतसिंह की पत्नी थीं। पूर्व राजघराने के प्रति आम लोगों में बहुत श्रद्धा और आदर का भाव है। मारवाड़ की जनता इस परिवार का बहुत आदर करती है। देश-विदेश में भी उन्हें बहुत इज्जत की नजर से देखा जाता है। आजादी के बाद राजघरानों के राजनीति में प्रवेश के समय महाराजा हनवंतसिंह की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही थी और उनके बाद पूर्व राजमाता ने अपना अल्पकाल का राजनीतिक जीवन भी बेहतर व सक्रिय रूप से निभाया।
राज धर्म और राजनीति
सन् 1971 का लोकसभा चुनाव निर्दलीय के रूप में लड़ा व 21 हजार 497 मतों से विजयी रही थीं। उन्होंने क्षेत्र के साथ ही पूरे प्रदेश की जनता की आवाज संसद में पुरजोर तरीके से उठाई थीं। उन्होंने बेहतर बालिका शिक्षा के लिए राजमाता कृष्णा कुमारी गल्र्स पब्लिक स्कूल की स्थापना की थी। उनके पति हनवंतसिंह की 26 जनवरी 1952 को हवाई दुर्घटना में निधन के बाद उन्होंने परिवार को दृढ़ता के साथ संभाला था।
शिक्षा में जागृति
पूर्व राजमाता कृष्णाकुमारी मारवाड़ में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत रही। सांसद रहते हुए उनका जोधपुर में हवाई व रेल सेवा के विस्तार, भारत पाक युद्ध के समय जवानों के परिवार को भावनात्मक व आर्थिक सहयोग देने में विशेष योगदान रहा है। विलक्षण व्यक्तित्व की धनी कृष्णाकुमारी को जीवन में कई झंझावतों से जूझना पड़ा, लेकिन उन्होंने हर सुख-दुख में समभाव व तटस्थ भूमिका निभाते हुए कर्म करना ही अपना लक्ष्य बनाया।
राजमाता का जीवन
पूर्व राजमाता कृष्णाकुमारी का जन्म 10 फ रवरी 1926 को ध्रांगध्रा (सौराष्ट्र) गुजरात में हुआ था। उनका विवाह 14 फ रवरी 1943 को जोधपुर के महाराजा हनवंतसिंह के साथ हुआ था। एक पुत्र पूर्व सांसद गजसिंह व चंद्रेशकुमारी और शैलजा कुमारी दो पुत्रियां हैं। उनकी पुत्री चंदे्रशकुमारी भी जोधपुर की सांसद और केंद्रीय संस्कृति मंत्री रहीं।
Published on:
03 Jul 2018 12:26 pm
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