
जोधपुर के लोकतंत्र सेनानियों ने बताए आपातकाल के संस्मरण
जोधपुर. आपातकाल लागू होने के विरोध में हुए देशव्यापी सत्याग्रह के तहत जोधपुर में भी कुल 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें राजेन्द्र गहलोत, रामनारायण विश्नोई, कर्नल मेघसिंह, रेवाचंद, दामोदर बंग, प्रो. शारदा शरणसिंह, आचार्य गिर्राजकिशोर, गुमानमल लोढ़ा, विज्ञान मोदी, ब्रह्मदेव बोड़ा, देवराज बोहरा, मोहम्मद अली, कांतिलाल जसमतिया, रणछोड़दास गट्टानी आदि भी शामिल थे। आपातकाल हटाने के बाद जोधपुर जेल में बंद मीसा बंदियों में कई विधायक, मंत्री, राज्यसभा सदस्य, लोक सभा सदस्य, अतिरिक्त महाधिवक्ता, यूआइटी चेयरमैन यहां तक प्रदेश के उपमुख्यमंत्री भी बने। गुरुवार को आपातकाल की 45 वीं वर्षगांठ पर पत्रिका के रिपोर्टर नंदकिशोर सारस्वत ने कुछ मीसा बंदियों से बातचीत की। प्रस्तुत है उनके संस्मरण के कुछ अंश-
शासन नाम की कोई चीज ही नहीं थी
आपातकाल लागू होने के बाद शासन नाम की कोई चीज नहीं बल्कि भय और आंतक का वातावरण था। नागोरीगेट स्थित घर से 26 जून 1975 को सुबह 9 बजे तैयार होकर रेलवे स्टेशन स्थित अपनी दुकान पहुंचकर बैठा ही था कि पुलिस की गाड़ी पहुंची और दुकान को चारों तरफ से घेर कर मुझे गाड़ी में जबरन बिठाया। रास्ते में सोजतीगेट पहुंचने पर राजस्थान पत्रिका के पत्रकार गोर्वद्र्धन हेड़ाऊ ने जब मुझसे बात करनी चाही तो पुलिस ने पत्रिका के पत्रकार को भी गिरफ्तार करने की धमकी देते हुए आप भी गाड़ी में बैठिए और आपको भी जेल ले जाकर सब बता देंगे। आपातकाल में 20 माह तक बंदी बनाए जाने के दौरान मेरी बड़ी पुत्री के विवाह के लिए मुझे मेरे मित्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामसिंह विश्नोई ने गृह मंत्रालय से विशेष तीन दिन का पैरोल दिलाया।
दामोदर बंग - वरिष्ठ सदस्य और संरक्षक लोकतंत्र रक्षा मंच
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पिता और पुत्र भी गए जेल
आपातकाल के लगते ही भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य मेरे पिता हीराचंद बोहरा को पुलिस मीसा में गिरफतार करने घर पहुंची लेकिन नाकाम रही। कई बार पुलिस घर घेर कर तलाशी के बहाने परिवार के लोगों को प्रताडित करने लगे। उसी दौरान मेरे भाईयों को पुखराज व निर्मल घसीटते हुए थाने ले गई ओर उन्हे 15 दिनो तक प्रताडित किया। उनसे एक ही सवाल पूछा जाता कि आंदोलन से जुड़े पत्रक साइक्लोस्टाइल कहां होते है और तुम्हारे पिता और भाई इस वक्त कहां है। उस समय मेरे पास भारतीय जनसंघ युवा मोर्चा के प्रदेश का दायित्व था। कटलाबाजार में देशभक्ति के नारे लगाने पर गिरफतार कर मारपीट के बाद सेन्ट्रल जेल भेज दिया गया। पिताजी के भूमिगत होने के कारण पुलिस ने घर की कुर्की करने नोटिस चिपका दिए। तब पिताजी जिला कलक्टर के समक्ष पेश हुए और उन्हें मीसा मेन्टीनेन्स आफ सिक्योरिटि एक्ट में गिरफतार कर जेल भेजा गया ।
-देवराज बोहरा, प्रांतीय महामंत्री, लोकतंत्र रक्षा मंच
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सबसे कम उम्र के बंदी
आपातकाल में सारे अखबार तक सैंसर हो गए थे। आपातकाल के समय मेरी उम्र सोलह वर्ष ही थी। मुझे अगस्त में मीसा एक्ट के तहत गिरफ्तार लिया गया था। जोधपुर में जेल में करीब 18 माह तक मुझे प्रो. शारदा शरणसिंह, प्रो. केदार, हीराचंद बोहरा, राजेन्द्र गहलोत, हीराचंदबोहरा, शंकरराज लोढ़ा, पूर्व मुख्यमंत्री हरिशंकर भाभड़ा सहित कई दिग्गज लोगों के साथ रहने और उनसे सीखने का सौभाग्य मिला।
-जुगल तापडिय़ा, लोकतंत्र सेनानी
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बहन की शादी के लिए फांदी जेल की दीवार
आपातकाल लागू होने की रात्रि के समय पकड़कर मुझे और मेरे भाई मानराज को जेल में डाल दिया गया। जेल में रहने के दौरान मेरी बहन की शादी थी तो जेल की दीवार फांद कर फरार होने में कामयाब रहा। बहन की शादी में बीरा सेवरा देने पहुंचना आवश्यक था। हालांकि विवाह पूर्ण होने के बाद जैसे तैसे फिर से जेल में प्रवेश होने में भी सफल रहा। जैन चातुर्मास होने के कारण पयुर्षण पर्व भी रहने पर उपवास भी किए और सभी ने मिलकर शिवालय भी स्थापित किया। कानराज मोहनोत-लोकतंत्र सेनानी
Published on:
26 Jun 2020 12:06 am
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